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وَوَصّٰى بِهَآ اِبْرٰهٖمُ بَنِيْهِ وَيَعْقُوْبُۗ يٰبَنِيَّ اِنَّ اللّٰهَ اصْطَفٰى لَكُمُ الدِّيْنَ فَلَا تَمُوْتُنَّ اِلَّا وَاَنْتُمْ مُّسْلِمُوْنَ ۗ  ( البقرة: ١٣٢ )

And enjoined
وَوَصَّىٰ
और वसीयत की
[it]
بِهَآ
उसकी
Ibrahim
إِبْرَٰهِۦمُ
इब्राहीम ने
(upon) his sons
بَنِيهِ
अपने बेटों को
and Yaqub
وَيَعْقُوبُ
और याक़ूब ने
"O my sons!
يَٰبَنِىَّ
ऐ मेरे बेटो
Indeed
إِنَّ
बेशक
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह ने
has chosen
ٱصْطَفَىٰ
चुन लिया
for you
لَكُمُ
तुम्हारे लिए
the religion
ٱلدِّينَ
दीन को
so not
فَلَا
पस तुम हरगिज़ ना मरना
(should) you die
تَمُوتُنَّ
पस तुम हरगिज़ ना मरना
except
إِلَّا
मगर
while you
وَأَنتُم
इस हाल में कि तुम
(are) submissive"
مُّسْلِمُونَ
मुसलमान हो

Wawassa biha ibraheemu baneehi waya'qoobu ya baniyya inna Allaha istafa lakumu alddeena fala tamootunna illa waantum muslimoona (al-Baq̈arah 2:132)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और इसी की वसीयत इबराहीम ने अपने बेटों को की और याक़ूब ने भी (अपनी सन्तानों को की) कि, 'ऐ मेरे बेटों! अल्लाह ने तुम्हारे लिए यही दीन (धर्म) चुना है, तो इस्लाम (ईश-आज्ञापालन) को अतिरिक्त किसी और दशा में तुम्हारी मृत्यु न हो।'

English Sahih:

And Abraham instructed his sons [to do the same] and [so did] Jacob, [saying], "O my sons, indeed Allah has chosen for you this religion, so do not die except while you are Muslims." ([2] Al-Baqarah : 132)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और इसी तरीके क़ी इबराहीम ने अपनी औलाद से वसीयत की और याकूब ने (भी) कि ऐ फरज़न्दों खुदा ने तुम्हारे वास्ते इस दीन (इस्लाम) को पसन्द फरमाया है पस तुम हरगिज़ न मरना मगर मुसलमान ही होकर