وَاِذْ يَرْفَعُ اِبْرٰهٖمُ الْقَوَاعِدَ مِنَ الْبَيْتِ وَاِسْمٰعِيْلُۗ رَبَّنَا تَقَبَّلْ مِنَّا ۗ اِنَّكَ اَنْتَ السَّمِيْعُ الْعَلِيْمُ ( البقرة: ١٢٧ )
And when
وَإِذْ
और जब
(was) raising
يَرْفَعُ
बुलन्द कर रहे थे
Ibrahim
إِبْرَٰهِۦمُ
इब्राहीम
the foundations
ٱلْقَوَاعِدَ
बुनियादें
of
مِنَ
बैतुल्लाह की
the House
ٱلْبَيْتِ
बैतुल्लाह की
and Ishmael
وَإِسْمَٰعِيلُ
और इस्माईल
(saying), "Our Lord!
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
Accept
تَقَبَّلْ
तू क़ुबूल फ़रमा
from us
مِنَّآۖ
हम से
Indeed You!
إِنَّكَ
बेशक तू
[You] (are)
أَنتَ
तू ही है
the All-Hearing
ٱلسَّمِيعُ
ख़ूब सुनने वाला
the All-Knowing
ٱلْعَلِيمُ
ख़ूब जानने वाला
Waith yarfa'u ibraheemu alqawa'ida mina albayti waisma'eelu rabbana taqabbal minna innaka anta alssamee'u al'aleemu (al-Baq̈arah 2:127)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और याद करो जब इबराहीम और इसमाईल इस घर की बुनियादें उठा रहे थे, (तो उन्होंने प्रार्थना की), 'ऐ हमारे रब! हमारी ओर से इसे स्वीकार कर ले, निस्संदेह तू सुनता-जानता है
English Sahih:
And [mention] when Abraham was raising the foundations of the House and [with him] Ishmael, [saying], "Our Lord, accept [this] from us. Indeed, You are the Hearing, the Knowing. ([2] Al-Baqarah : 127)