وَاِذْ قَالَ اِبْرٰهٖمُ رَبِّ اجْعَلْ هٰذَا بَلَدًا اٰمِنًا وَّارْزُقْ اَهْلَهٗ مِنَ الثَّمَرٰتِ مَنْ اٰمَنَ مِنْهُمْ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِۗ قَالَ وَمَنْ كَفَرَ فَاُمَتِّعُهٗ قَلِيْلًا ثُمَّ اَضْطَرُّهٗٓ اِلٰى عَذَابِ النَّارِ ۗ وَبِئْسَ الْمَصِيْرُ ( البقرة: ١٢٦ )
Waith qala ibraheemu rabbi ij'al hatha baladan aminan waorzuq ahlahu mina alththamarati man amana minhum biAllahi waalyawmi alakhiri qala waman kafara faomatti'uhu qaleelan thumma adtarruhu ila 'athabi alnnari wabisa almaseeru (al-Baq̈arah 2:126)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और याद करो जब इबराहीम ने कहा, 'ऐ मेरे रब! इसे शान्तिमय भू-भाग बना दे और इसके उन निवासियों को फलों की रोज़ी दे जो उनमें से अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान लाएँ।' कहा, 'और जो इनकार करेगा थोड़ा फ़ायदा तो उसे भी दूँगा, फिर उसे घसीटकर आग की यातना की ओर पहुँचा दूँगा और वह बहुत-ही बुरा ठिकाना है!'
English Sahih:
And [mention] when Abraham said, "My Lord, make this a secure city and provide its people with fruits – whoever of them believes in Allah and the Last Day." [Allah] said, "And whoever disbelieves – I will grant him enjoyment for a little; then I will force him to the punishment of the Fire, and wretched is the destination." ([2] Al-Baqarah : 126)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और (ऐ रसूल वह वक्त भी याद दिलाओ) जब इबराहीम ने दुआ माँगी कि ऐ मेरे परवरदिगार इस (शहर) को पनाह व अमन का शहर बना, और उसके रहने वालों में से जो खुदा और रोज़े आख़िरत पर ईमान लाए उसको तरह-तरह के फल खाने को दें खुदा ने फरमाया (अच्छा मगर) वो कुफ्र इख़तेयार करेगा उसकी दुनिया में चन्द रोज़ (उन चीज़ो से) फायदा उठाने दूँगा फिर (आख़ेरत में) उसको मजबूर करके दोज़ख़ की तरफ खींच ले जाऊँगा और वह बहुत बुरा ठिकाना है