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وَاتَّقُوْا يَوْمًا لَّا تَجْزِيْ نَفْسٌ عَنْ نَّفْسٍ شَيْـًٔا وَّلَا يُقْبَلُ مِنْهَا عَدْلٌ وَّلَا تَنْفَعُهَا شَفَاعَةٌ وَّلَا هُمْ يُنْصَرُوْنَ   ( البقرة: ١٢٣ )

And fear
وَٱتَّقُوا۟
और डरो
a day
يَوْمًا
उस दिन से
not
لَّا
नहीं काम आएगा
will avail
تَجْزِى
नहीं काम आएगा
a soul
نَفْسٌ
कोई नफ़्स
(of)
عَن
किसी नफ़्स के
(another) soul
نَّفْسٍ
किसी नफ़्स के
anything
شَيْـًٔا
कुछ भी
and not
وَلَا
और ना
will be accepted
يُقْبَلُ
क़ुबूल किया जाएगा
from it
مِنْهَا
उससे
any compensation
عَدْلٌ
कोई बदला
and not
وَلَا
और ना
will benefit it
تَنفَعُهَا
नफ़ा देगी उसे
any intercession
شَفَٰعَةٌ
कोई सिफ़ारिश
and not
وَلَا
और ना
they
هُمْ
वो
will be helped
يُنصَرُونَ
वो मदद किए जाऐंगे

Waittaqoo yawman la tajzee nafsun 'an nafsin shayan wala yuqbalu minha 'adlun wala tanfa'uha shafa'atun wala hum yunsaroona (al-Baq̈arah 2:123)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और उस दिन से डरो, जब कोई न किसी के काम आएगा, न किसी की ओर से अर्थदंड स्वीकार किया जाएगा, और न कोई सिफ़ारिश ही उसे लाभ पहुँचा सकेगी, और न उनको कोई सहायता ही पहुँच सकेगी

English Sahih:

And fear a Day when no soul will suffice for another soul at all, and no compensation will be accepted from it, nor will any intercession benefit it, nor will they be aided. ([2] Al-Baqarah : 123)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और उस दिन से डरो जिस दिन कोई शख्स किसी की तरफ से न फिदया हो सकेगा और न उसकी तरफ से कोई मुआवेज़ा क़ुबूल किया जाएगा और न कोई सिफारिश ही फायदा पहुचाँ सकेगी, और न लोग मदद दिए जाएँगे