۞ مَا نَنْسَخْ مِنْ اٰيَةٍ اَوْ نُنْسِهَا نَأْتِ بِخَيْرٍ مِّنْهَآ اَوْ مِثْلِهَا ۗ اَلَمْ تَعْلَمْ اَنَّ اللّٰهَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ( البقرة: ١٠٦ )
What
مَا
जो भी
We abrogate
نَنسَخْ
हम मनसूख़ करते हैं
(of)
مِنْ
कोई आयत
a sign
ءَايَةٍ
कोई आयत
or
أَوْ
या
[We] cause it to be forgotten
نُنسِهَا
हम भुलवा देते हैं उसे
We bring
نَأْتِ
हम ले आते हैं
better
بِخَيْرٍ
बेहतर
than it
مِّنْهَآ
उससे
or
أَوْ
या
similar (to) it
مِثْلِهَآۗ
उस जैसी
Do not
أَلَمْ
क्या नहीं
you know
تَعْلَمْ
आपने जाना
that
أَنَّ
बेशक
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह
over
عَلَىٰ
ऊपर
every
كُلِّ
हर
thing
شَىْءٍ
चीज़ के
(is) All-Powerful?
قَدِيرٌ
बहुत क़ुदरत रखने वाला है
Ma nansakh min ayatin aw nunsiha nati bikhayrin minha aw mithliha alam ta'lam anna Allaha 'ala kulli shayin qadeerun (al-Baq̈arah 2:106)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
हम जिस आयत (और निशान) को भी मिटा दें या उसे भुला देते है, तो उससे बेहतर लाते है या उस जैसा दूसरा ही। क्या तुम नहीं जानते हो कि अल्लाह को हर चीज़ का सामर्थ्य प्राप्त है?
English Sahih:
We do not abrogate a verse or cause it to be forgotten except that We bring forth [one] better than it or similar to it. Do you not know that Allah is over all things competent? ([2] Al-Baqarah : 106)