مَا يَوَدُّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ وَلَا الْمُشْرِكِيْنَ اَنْ يُّنَزَّلَ عَلَيْكُمْ مِّنْ خَيْرٍ مِّنْ رَّبِّكُمْ ۗ وَاللّٰهُ يَخْتَصُّ بِرَحْمَتِهٖ مَنْ يَّشَاۤءُ ۗ وَاللّٰهُ ذُو الْفَضْلِ الْعَظِيْمِ ( البقرة: ١٠٥ )
Ma yawaddu allatheena kafaroo min ahli alkitabi wala almushrikeena an yunazzala 'alaykum min khayrin min rabbikum waAllahu yakhtassu birahmatihi man yashao waAllahu thoo alfadli al'atheemi (al-Baq̈arah 2:105)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
इनकार करनेवाले नहीं चाहते, न किताबवाले और न मुशरिक (बहुदेववादी) कि तुम्हारे रब की ओर से तुमपर कोई भलाई उतरे, हालाँकि अल्लाह जिसे चाहे अपनी दयालुता के लिए ख़ास कर ले; अल्लाह बड़ा अनुग्रह करनेवाला है
English Sahih:
Neither those who disbelieve from the People of the Scripture [i.e., the Jews and Christians] nor the polytheists wish that any good should be sent down to you from your Lord. But Allah selects for His mercy whom He wills, and Allah is the possessor of great bounty. ([2] Al-Baqarah : 105)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ऐ रसूल अहले किताब में से जिन लोगों ने कुफ्र इख़तेयार किया वह और मुशरेकीन ये नहीं चाहते हैं कि तुम पर तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से भलाई (वही) नाज़िल की जाए और (उनका तो इसमें कुछ इजारा नहीं) खुदा जिसको चाहता है अपनी रहमत के लिए ख़ास कर लेता है और खुदा बड़ा फज़ल (करने) वाला है