اِذْ قَالَ لِاَبِيْهِ يٰٓاَبَتِ لِمَ تَعْبُدُ مَا لَا يَسْمَعُ وَلَا يُبْصِرُ وَلَا يُغْنِيْ عَنْكَ شَيْـًٔا ( مريم: ٤٢ )
When
إِذْ
जब
he said
قَالَ
उसने कहा
to his father
لِأَبِيهِ
अपने बाप से
"O my father!
يَٰٓأَبَتِ
ऐ मेरे अब्बाजान
Why
لِمَ
क्यों
(do) you worship
تَعْبُدُ
आप इबादत करते हैं
that which
مَا
उसकी जो
not
لَا
ना वो सुनता है
hears
يَسْمَعُ
ना वो सुनता है
and not
وَلَا
और ना
sees
يُبْصِرُ
वो देखता है
and not
وَلَا
और ना
benefits
يُغْنِى
वो काम आता है
[to] you
عَنكَ
आपके
(in) anything?
شَيْـًٔا
कुछ भी
Ith qala liabeehi ya abati lima ta'budu ma la yasma'u wala yubsiru wala yughnee 'anka shayan (Maryam 19:42)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जबकि उसने अपने बाप से कहा, 'ऐ मेरे बाप! आप उस चीज़ को क्यों पूजते हो, जो न सुने और न देखे और न आपके कुछ काम आए?
English Sahih:
[Mention] when he said to his father, "O my father, why do you worship that which does not hear and does not see and will not benefit you at all? ([19] Maryam : 42)