حَتّٰىٓ اِذَا بَلَغَ بَيْنَ السَّدَّيْنِ وَجَدَ مِنْ دُوْنِهِمَا قَوْمًاۙ لَّا يَكَادُوْنَ يَفْقَهُوْنَ قَوْلًا ( الكهف: ٩٣ )
Until
حَتَّىٰٓ
यहाँ तक कि
when
إِذَا
जब
he reached
بَلَغَ
वो पहुँचा
between
بَيْنَ
दर्मियान दो पहाड़ों के
the two mountains
ٱلسَّدَّيْنِ
दर्मियान दो पहाड़ों के
he found
وَجَدَ
उसने पाया
besides them
مِن
उन दोनों से उस तरफ़
besides them
دُونِهِمَا
उन दोनों से उस तरफ़
a community
قَوْمًا
ऐसे लोगों को
not
لَّا
ना वो क़रीब थे
who would almost
يَكَادُونَ
ना वो क़रीब थे
understand
يَفْقَهُونَ
कि वो समझते
(his) speech
قَوْلًا
बात को
Hatta itha balagha bayna alssaddayni wajada min doonihima qawman la yakadoona yafqahoona qawlan (al-Kahf 18:93)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
यहाँ तक कि जब वह दो पर्वतों के बीच पहुँचा तो उसे उनके इस किनारे कुछ पहुँचा तो उसे उनके इस किनारे कुछ लोग मिले, जो ऐसा लगाता नहीं था कि कोई बात समझ पाते हों
English Sahih:
Until, when he reached [a pass] between two mountains, he found beside them a people who could hardly understand [his] speech. ([18] Al-Kahf : 93)