اَمَّا السَّفِيْنَةُ فَكَانَتْ لِمَسٰكِيْنَ يَعْمَلُوْنَ فِى الْبَحْرِ فَاَرَدْتُّ اَنْ اَعِيْبَهَاۗ وَكَانَ وَرَاۤءَهُمْ مَّلِكٌ يَّأْخُذُ كُلَّ سَفِيْنَةٍ غَصْبًا ( الكهف: ٧٩ )
Amma alssafeenatu fakanat limasakeena ya'maloona fee albahri faaradtu an a'eebaha wakana waraahum malikun yakhuthu kulla safeenatin ghasban (al-Kahf 18:79)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
वह जो नौका थी, कुछ निर्धन लोगों की थी जो दरिया में काम करते थे, तो मैंने चाहा कि उसे ऐबदार कर दूँ, क्योंकि आगे उनके परे एक सम्राट था, जो प्रत्येक नौका को ज़बरदस्ती छीन लेता था
English Sahih:
As for the ship, it belonged to poor people working at sea. So I intended to cause defect in it as there was after them a king who seized every [good] ship by force. ([18] Al-Kahf : 79)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(लीजिए सुनिये) वह कश्ती (जिसमें मैंने सुराख़ कर दिया था) तो चन्द ग़रीबों की थी जो दरिया में मेहनत करके गुज़ारा करते थे मैंने चाहा कि उसे ऐबदार बना दूँ (क्योंकि) उनके पीछे-पीछे एक (ज़ालिम) बादशाह (आता) था कि तमाम कश्तियां ज़बरदस्ती बेगार में पकड़ लेता था