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فَلَمَّا بَلَغَا مَجْمَعَ بَيْنِهِمَا نَسِيَا حُوْتَهُمَا فَاتَّخَذَ سَبِيْلَهٗ فِى الْبَحْرِ سَرَبًا   ( الكهف: ٦١ )

But when
فَلَمَّا
तो जब
they reached
بَلَغَا
वो दोनों पहुँचे
the junction
مَجْمَعَ
जमा होने की जगह
between them
بَيْنِهِمَا
दर्मियान उन दो (समुन्दरों) के
they forgot
نَسِيَا
तो दोनों भूल गए
their fish
حُوتَهُمَا
अपनी मछली
and it took
فَٱتَّخَذَ
पस उसने बना लिया
its way
سَبِيلَهُۥ
रास्ता अपना
into
فِى
समुन्दर में
the sea
ٱلْبَحْرِ
समुन्दर में
slipping away
سَرَبًا
सुरंग की तरह

Falamma balagha majma'a baynihima nasiya hootahuma faittakhatha sabeelahu fee albahri saraban (al-Kahf 18:61)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

फिर जब वे दोनों संगम पर पहुँचे तो वे अपनी मछली से ग़ाफ़िल हो गए और उस (मछली) ने दरिया में सुरंह बनाती अपनी राह ली

English Sahih:

But when they reached the junction between them, they forgot their fish, and it took its course into the sea, slipping away. ([18] Al-Kahf : 61)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

ख्वाह (अगर मुलाक़ात न हो तो) बरसों यूँ ही चलता जाऊँगा फिर जब ये दोनों उन दोनों दरियाओं के मिलने की जगह पहुँचे तो अपनी (भुनी हुई) मछली छोड़ चले तो उसने दरिया में सुरंग बनाकर अपनी राह ली