Skip to main content

وَرَاَ الْمُجْرِمُوْنَ النَّارَ فَظَنُّوْٓا اَنَّهُمْ مُّوَاقِعُوْهَا وَلَمْ يَجِدُوْا عَنْهَا مَصْرِفًا ࣖ   ( الكهف: ٥٣ )

And will see
وَرَءَا
और देखेंगे
the criminals
ٱلْمُجْرِمُونَ
मुजरिम
the Fire
ٱلنَّارَ
आग को
and they (will be) certain
فَظَنُّوٓا۟
तो वो समझ लेंगे
that they
أَنَّهُم
बेशक वो
are to fall in it
مُّوَاقِعُوهَا
गिरने वाले हैं उसमें
And not
وَلَمْ
और ना
they will find
يَجِدُوا۟
वो पाऐंगे
from it
عَنْهَا
उससे
a way of escape
مَصْرِفًا
फिरने की जगह

Waraa almujrimoona alnnara fathannoo annahum muwaqi'ooha walam yajidoo 'anha masrifan (al-Kahf 18:53)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

अपराधी लोग आग को देखेंगे तो समझ लेंगे कि वे उसमें पड़नेवाले है और उससे बच निकलने की कोई जगह न पाएँगे

English Sahih:

And the criminals will see the Fire and will be certain that they are to fall therein. And they will not find from it a way elsewhere. ([18] Al-Kahf : 53)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और गुनेहगार लोग (देखकर समझ जाएँगें कि ये इसमें सोके जाएँगे और उससे गरीज़ (बचने की) की राह न पाएँगें