وَكَذٰلِكَ اَعْثَرْنَا عَلَيْهِمْ لِيَعْلَمُوْٓا اَنَّ وَعْدَ اللّٰهِ حَقٌّ وَّاَنَّ السَّاعَةَ لَا رَيْبَ فِيْهَاۚ اِذْ يَتَنَازَعُوْنَ بَيْنَهُمْ اَمْرَهُمْ فَقَالُوا ابْنُوْا عَلَيْهِمْ بُنْيَانًاۗ رَبُّهُمْ اَعْلَمُ بِهِمْۗ قَالَ الَّذِيْنَ غَلَبُوْا عَلٰٓى اَمْرِهِمْ لَنَتَّخِذَنَّ عَلَيْهِمْ مَّسْجِدًا ( الكهف: ٢١ )
Wakathalika a'tharna 'alayhim liya'lamoo anna wa'da Allahi haqqun waanna alsa'ata la rayba feeha ith yatanaza'oona baynahum amrahum faqaloo ibnoo 'alayhim bunyanan rabbuhum a'lamu bihim qala allatheena ghalaboo 'ala amrihim lanattakhithanna 'alayhim masjidan (al-Kahf 18:21)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
इस तरह हमने लोगों को उनकी सूचना दे दी, ताकि वे जान लें कि अल्लाह का वादा सच्चा है और यह कि क़ियामत की घड़ी में कोई सन्देह नहीं है। वह समय भी उल्लेखनीय है जब वे आपस में उनके मामले में छीन-झपट कर रहे थे। फिर उन्होंने कहा, 'उनपर एक भवन बना दे। उनका रब उन्हें भली-भाँति जानता है।' और जो लोग उनके मामले में प्रभावी रहे उन्होंने कहा, 'हम तो उनपर अवश्य एक उपासना गृह बनाएँगे।'
English Sahih:
And similarly, We caused them to be found that they [who found them] would know that the promise of Allah is truth and that of the Hour there is no doubt. [That was] when they disputed among themselves about their affair and [then] said, "Construct over them a structure. Their Lord is most knowing about them." Said those who prevailed in the matter, "We will surely take [for ourselves] over them a masjid." ([18] Al-Kahf : 21)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और हमने यूँ उनकी क़ौम के लोगों को उनकी हालत पर इत्तेलाअ (ख़बर) कराई ताकि वह लोग देख लें कि ख़ुदा को वायदा यक़ीनन सच्चा है और ये (भी समझ लें) कि क़यामत (के आने) में कुछ भी शुबहा नहीं अब (इत्तिलाआ होने के बाद) उनके बारे में लोग बाहम झगड़ने लगे तो कुछ लोगों ने कहा कि उनके (ग़ार) पर (बतौर यादगार) कोई इमारत बना दो उनका परवरदिगार तो उनके हाल से खूब वाक़िफ है ही और उनके बारे में जिन (मोमिनीन) की राए ग़ालिब रही उन्होंने कहा कि हम तो उन (के ग़ार) पर एक मस्जिद बनाएँगें