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اِذْ اَوَى الْفِتْيَةُ اِلَى الْكَهْفِ فَقَالُوْا رَبَّنَآ اٰتِنَا مِنْ لَّدُنْكَ رَحْمَةً وَّهَيِّئْ لَنَا مِنْ اَمْرِنَا رَشَدًا  ( الكهف: ١٠ )

When
إِذْ
जब
retreated
أَوَى
पनाह ली
the youths
ٱلْفِتْيَةُ
उन नौजवानों ने
to
إِلَى
तरफ़
the cave
ٱلْكَهْفِ
ग़ार के
and they said
فَقَالُوا۟
फिर वो कहने लगे
"Our Lord!
رَبَّنَآ
ऐ हमारे रब
Grant us
ءَاتِنَا
दे हमें
from
مِن
अपने पास से
Yourself
لَّدُنكَ
अपने पास से
Mercy
رَحْمَةً
रहमत
and facilitate
وَهَيِّئْ
और मुहैय्या कर
for us
لَنَا
हमारे लिए
[from]
مِنْ
हमारे मामले में
our affair
أَمْرِنَا
हमारे मामले में
(in the) right way"
رَشَدًا
रहनुमाई

Ith awa alfityatu ila alkahfi faqaloo rabbana atina min ladunka rahmatan wahayyi lana min amrina rashadan (al-Kahf 18:10)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जब उन नवयुवकों ने गुफ़ा में जाकर शरण ली तो कहा, 'हमारे रब! हमें अपने यहाँ से दयालुता प्रदान कर और हमारे लिए हमारे अपने मामले को ठीक कर दे।'

English Sahih:

[Mention] when the youths retreated to the cave and said, "Our Lord, grant us from Yourself mercy and prepare for us from our affair right guidance." ([18] Al-Kahf : 10)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

कि एक बारगी कुछ जवान ग़ार में आ पहुँचे और दुआ की-ऐ हमारे परवरदिगार हमें अपनी बारगाह से रहमत अता फरमा-और हमारे वास्ते हमारे काम में कामयाबी इनायत कर