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اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِيْٓ اَنْزَلَ عَلٰى عَبْدِهِ الْكِتٰبَ وَلَمْ يَجْعَلْ لَّهٗ عِوَجًا ۜ  ( الكهف: ١ )

All Praise
ٱلْحَمْدُ
सब तारीफ़
(is) for Allah
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए है
the One Who
ٱلَّذِىٓ
वो जिसने
(has) revealed
أَنزَلَ
नाज़िल किया
to
عَلَىٰ
अपने बन्दे पर
His slave
عَبْدِهِ
अपने बन्दे पर
the Book
ٱلْكِتَٰبَ
किताब को
and not
وَلَمْ
और नहीं
(has) made
يَجْعَل
उसने रखा
in it
لَّهُۥ
उसमें
any crookedness
عِوَجَاۜ
कोई टेढ़ापन

Alhamdu lillahi allathee anzala 'ala 'abdihi alkitaba walam yaj'al lahu 'iwajan (al-Kahf 18:1)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

प्रशंसा अल्लाह के लिए है जिसने अपने बन्दे पर यह किताब अवतरित की और उसमें (अर्थात उस बन्दे में) कोई टेढ़ नहीं रखी,

English Sahih:

[All] praise is [due] to Allah, who has sent down upon His Servant [Muhammad (r)] the Book and has not made therein any deviance. ([18] Al-Kahf : 1)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

हर तरह की तारीफ ख़ुदा ही को (सज़ावार) है जिसने अपने बन्दे (मोहम्मद) पर किताब (क़ुरान) नाज़िल की और उसमें किसी तरह की कज़ी (ख़राबी) न रखी