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اَوْ يَكُوْنَ لَكَ بَيْتٌ مِّنْ زُخْرُفٍ اَوْ تَرْقٰى فِى السَّمَاۤءِ ۗوَلَنْ نُّؤْمِنَ لِرُقِيِّكَ حَتّٰى تُنَزِّلَ عَلَيْنَا كِتٰبًا نَّقْرَؤُهٗۗ قُلْ سُبْحَانَ رَبِّيْ هَلْ كُنْتُ اِلَّا بَشَرًا رَّسُوْلًا ࣖ   ( الإسراء: ٩٣ )

Or
أَوْ
या
is
يَكُونَ
हो
for you
لَكَ
तुम्हारे लिए
a house
بَيْتٌ
घर
of
مِّن
सोने का
ornament
زُخْرُفٍ
सोने का
or
أَوْ
या
you ascend
تَرْقَىٰ
तुम चढ़ जाओ
into
فِى
आसमान में
the sky
ٱلسَّمَآءِ
आसमान में
And never
وَلَن
और हरगिज़ नहीं
we will believe
نُّؤْمِنَ
हम मानेंगे
in your ascension
لِرُقِيِّكَ
तुम्हारे चढ़ने को
until
حَتَّىٰ
हत्ता कि
you bring down
تُنَزِّلَ
तुम उतार लाओ
to us
عَلَيْنَا
हम पर
a book
كِتَٰبًا
एक किताब
we could read it"
نَّقْرَؤُهُۥۗ
हम पढ़ें उसे
Say
قُلْ
कह दीजिए
"Glorified (is)
سُبْحَانَ
पाक है
my Lord!
رَبِّى
रब मेरा
"What
هَلْ
नहीं
am I
كُنتُ
हूँ मैं
but
إِلَّا
मगर
a human
بَشَرًا
एक इन्सान
a Messenger"
رَّسُولًا
जो रसूल है

Aw yakoona laka baytun min zukhrufin aw tarqa fee alssamai walan numina liruqiyyika hatta tunazzila 'alayna kitaban naqraohu qul subhana rabbee hal kuntu illa basharan rasoolan (al-ʾIsrāʾ 17:93)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

या तुम्हारे लिए स्वर्ण-निर्मित एक घर हो जाए या तुम आकाश में चढ़ जाओ, और हम तुम्हारे चढ़ने को भी कदापि न मानेंगे, जब तक कि तुम हम पर एक किताब न उतार लाओ, जिसे हम पढ़ सकें।' कह दो, 'महिमावान है मेरा रब! क्या मैं एक संदेश लानेवाला मनुष्य के सिवा कुछ और भी हूँ?'

English Sahih:

Or you have a house of ornament [i.e., gold] or you ascend into the sky. And [even then], we will not believe in your ascension until you bring down to us a book we may read." Say, "Exalted is my Lord! Was I ever but a human messenger?" ([17] Al-Isra : 93)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जब तक तुम हम पर ख़ुदा के यहाँ से एक किताब न नाज़िल करोगे कि हम उसे खुद पढ़ भी लें उस वक्त तक हम तुम्हारे (आसमान पर चढ़ने के भी) क़ायल न होगें (ऐ रसूल) तुम कह दो कि सुबहान अल्लाह मै एक आदमी (ख़ुदा के) रसूल के सिवा आख़िर और क्या हूँ