وَمَنْ كَانَ فِيْ هٰذِهٖٓ اَعْمٰى فَهُوَ فِى الْاٰخِرَةِ اَعْمٰى وَاَضَلُّ سَبِيْلًا ( الإسراء: ٧٢ )
And whoever
وَمَن
और जो कोई
is
كَانَ
है
in
فِى
इस (दुनिया) में
this (world)
هَٰذِهِۦٓ
इस (दुनिया) में
blind
أَعْمَىٰ
अँधा
then he
فَهُوَ
तो वो
in
فِى
आख़िरत में
the Hereafter
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत में
(will be) blind
أَعْمَىٰ
अँधा (होगा)
and more astray
وَأَضَلُّ
और सब से ज़्यादा भटका हुआ
(from the) path
سَبِيلًا
रास्ते से
Waman kana fee hathihi a'ma fahuwa fee alakhirati a'ma waadallu sabeelan (al-ʾIsrāʾ 17:72)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और जो यहाँ अंधा होकर रहा वह आख़िरत में भी अंधा ही रहेगा, बल्कि वह मार्ग से और भी अधिक दूर पड़ा होगा
English Sahih:
And whoever is blind in this [life] will be blind in the Hereafter and more astray in way. ([17] Al-Isra : 72)