اِنْ اَحْسَنْتُمْ اَحْسَنْتُمْ لِاَنْفُسِكُمْ ۗوَاِنْ اَسَأْتُمْ فَلَهَاۗ فَاِذَا جَاۤءَ وَعْدُ الْاٰخِرَةِ لِيَسٗۤـُٔوْا وُجُوْهَكُمْ وَلِيَدْخُلُوا الْمَسْجِدَ كَمَا دَخَلُوْهُ اَوَّلَ مَرَّةٍ وَّلِيُتَبِّرُوْا مَا عَلَوْا تَتْبِيْرًا ( الإسراء: ٧ )
In ahsantum ahsantum lianfusikum wain asatum falaha faitha jaa wa'du alakhirati liyasoooo wujoohakum waliyadkhuloo almasjida kama dakhaloohu awwala marratin waliyutabbiroo ma 'alaw tatbeeran (al-ʾIsrāʾ 17:7)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
'यदि तुमने भलाई की तो अपने ही लिए भलाई की और यदि तुमने बुराई की तो अपने ही लिए की।' फिर जब दूसरे वादे का मौक़ा आ गया (तो हमने तुम्हारे मुक़ाबले में ऐसे प्रबल को उठाया) कि वे तुम्हारे चेहरे बिगाड़ दें और मस्जिद (बैतुलमक़दिस) में घुसे थे और ताकि जिस चीज़ पर भी उनका ज़ोर चले विनष्टि कर डालें
English Sahih:
[And said], "If you do good, you do good for yourselves; and if you do evil, [you do it] to them [i.e., yourselves]." Then when the final [i.e., second] promise came, [We sent your enemies] to sadden your faces and to enter the masjid [i.e., the temple in Jerusalem], as they entered it the first time, and to destroy what they had taken over with [total] destruction. ([17] Al-Isra : 7)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
अगर तुम अच्छे काम करोगे तो अपने फायदे के लिए अच्छे काम करोगे और अगर तुम बुरे काम करोगे तो (भी) अपने ही लिए फिर जब दूसरे वक्त क़ा वायदा आ पहुँचा तो (हमने तैतूस रोगी को तुम पर मुसल्लत किया) ताकि वह लोग (मारते मारते) तुम्हारे चेहरे बिगाड़ दें (कि पहचाने न जाओ) और जिस तरह पहली दफा मस्जिद बैतुल मुक़द्दस में घुस गये थे उसी तरह फिर घुस पड़ें और जिस चीज़ पर क़ाबू पाए खूब अच्छी तरह बरबाद कर दी