وَاِذَا مَسَّكُمُ الضُّرُّ فِى الْبَحْرِ ضَلَّ مَنْ تَدْعُوْنَ اِلَّآ اِيَّاهُۚ فَلَمَّا نَجّٰىكُمْ اِلَى الْبَرِّ اَعْرَضْتُمْۗ وَكَانَ الْاِنْسَانُ كَفُوْرًا ( الإسراء: ٦٧ )
Waitha massakumu alddurru fee albahri dalla man tad'oona illa iyyahu falamma najjakum ila albarri a'radtum wakana alinsanu kafooran (al-ʾIsrāʾ 17:67)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जब समुद्र में तुम पर कोई आपदा आती है तो उसके सिवा वे सब जिन्हें तुम पुकारते हो, गुम होकर रह जाते है, किन्तु फिर जब वह तुम्हें बचाकर थल पर पहुँचा देता है तो तुम उससे मुँह मोड़ जाते हो। मानव बड़ा ही अकृतज्ञ है
English Sahih:
And when adversity touches you at sea, lost are [all] those you invoke except for Him. But when He delivers you to the land, you turn away [from Him]. And ever is man ungrateful. ([17] Al-Isra : 67)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और जब समन्दर में कभी तुम को कोई तकलीफ पहुँचे तो जिनकी तुम इबादत किया करते थे ग़ायब हो गए मगर बस वही (एक ख़ुदा याद रहता है) उस पर भी जब ख़ुदा ने तुम को छुटकारा देकर खुशकी तक पहुँचा दिया तो फिर तुम इससे मुँह मोड़ बैठें और इन्सान बड़ा ही नाशुक्रा है