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وَقُلْ لِّعِبَادِيْ يَقُوْلُوا الَّتِيْ هِيَ اَحْسَنُۗ اِنَّ الشَّيْطٰنَ يَنْزَغُ بَيْنَهُمْۗ اِنَّ الشَّيْطٰنَ كَانَ لِلْاِنْسَانِ عَدُوًّا مُّبِيْنًا  ( الإسراء: ٥٣ )

And say
وَقُل
और कह दीजिए
to My slaves
لِّعِبَادِى
मेरे बन्दों को
(to) say
يَقُولُوا۟
वो कहें
that
ٱلَّتِى
वो (बात) जो
which
هِىَ
वो
(is) best
أَحْسَنُۚ
ज़्यादा अच्छी हो
Indeed
إِنَّ
बेशक
the Shaitaan
ٱلشَّيْطَٰنَ
शैतान
sows discord
يَنزَغُ
फ़साद डालता है
between them
بَيْنَهُمْۚ
दर्मियान उनके
Indeed
إِنَّ
यक़ीनन
the Shaitaan
ٱلشَّيْطَٰنَ
शैतान
is
كَانَ
है
to the man
لِلْإِنسَٰنِ
इन्सान के लिए
an enemy
عَدُوًّا
दुश्मन
clear
مُّبِينًا
खुला

Waqul li'ibadee yaqooloo allatee hiya ahsanu inna alshshaytana yanzaghu baynahum inna alshshaytana kana lilinsani 'aduwwan mubeenan (al-ʾIsrāʾ 17:53)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

मेरे बन्दों से कह दो कि 'बात वहीं कहें जो उत्तम हो। शैतान तो उनके बीच उकसाकर फ़साद डालता रहता है। निस्संदेह शैतान मनुष्य का प्रत्यक्ष शत्रु है।'

English Sahih:

And tell My servants to say that which is best. Indeed, Satan induces [dissension] among them. Indeed Satan is ever, to mankind, a clear enemy. ([17] Al-Isra : 53)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और (ऐ रसूल) मेरे (सच्चे) बन्दों (मोमिनों से कह दो कि वह (काफिरों से) बात करें तो अच्छे तरीक़े से (सख्त कलामी न करें) क्योंकि शैतान तो (ऐसी ही) बातों से फसाद डलवाता है इसमें तो शक़ ही नहीं कि शैतान आदमी का खुला हुआ दुश्मन है