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سُبْحٰنَ الَّذِيْٓ اَسْرٰى بِعَبْدِهٖ لَيْلًا مِّنَ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ اِلَى الْمَسْجِدِ الْاَقْصَا الَّذِيْ بٰرَكْنَا حَوْلَهٗ لِنُرِيَهٗ مِنْ اٰيٰتِنَاۗ اِنَّهٗ هُوَ السَّمِيْعُ الْبَصِيْرُ  ( الإسراء: ١ )

Exalted
سُبْحَٰنَ
पाक है
(is) the One Who
ٱلَّذِىٓ
वो जो
took
أَسْرَىٰ
ले गया
His servant
بِعَبْدِهِۦ
अपने बन्दे को
(by) night
لَيْلًا
रात के एक हिस्से में
from
مِّنَ
मस्जिदे हराम से
Al-Masjid Al-Haraam
ٱلْمَسْجِدِ
मस्जिदे हराम से
Al-Masjid Al-Haraam
ٱلْحَرَامِ
मस्जिदे हराम से
to
إِلَى
तरफ़
Al-Masjid Al-Aqsa
ٱلْمَسْجِدِ
मस्जिदे अक़्सा के
Al-Masjid Al-Aqsa
ٱلْأَقْصَا
मस्जिदे अक़्सा के
which
ٱلَّذِى
वो जो
We blessed
بَٰرَكْنَا
बरकत दी हमने
its surroundings
حَوْلَهُۥ
उसके इर्द-गिर्द को
that We may show him
لِنُرِيَهُۥ
ताकि हम दिखाऐं उसे
of
مِنْ
अपनी निशानियों में से
Our Signs
ءَايَٰتِنَآۚ
अपनी निशानियों में से
Indeed He
إِنَّهُۥ
बेशक वो
He
هُوَ
वो ही है
(is) the All-Hearer
ٱلسَّمِيعُ
ख़ूब सुनने वाला
the All-Seer
ٱلْبَصِيرُ
ख़ूब देखने वाला

Subhana allathee asra bi'abdihi laylan mina almasjidi alharami ila almasjidi alaqsa allathee barakna hawlahu linuriyahu min ayatina innahu huwa alssamee'u albaseeru (al-ʾIsrāʾ 17:1)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

क्या ही महिमावान है वह जो रातों-रात अपने बन्दे (मुहम्मद) को प्रतिष्ठित मस्जिद (काबा) से दूरवर्ती मस्जिद (अक़्सा) तक ले गया, जिसके चतुर्दिक को हमने बरकत दी, ताकि हम उसे अपनी कुछ निशानियाँ दिखाएँ। निस्संदेह वही सब कुछ सुनता, देखता है

English Sahih:

Exalted is He who took His Servant [i.e., Prophet Muhammad] by night from al-Masjid al-Haram to al-Masjid al-Aqsa, whose surroundings We have blessed, to show him of Our signs. Indeed, He is the Hearing, the Seeing. ([17] Al-Isra : 1)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

वह ख़ुदा (हर ऐब से) पाक व पाकीज़ा है जिसने अपने बन्दों को रातों रात मस्जिदुल हराम (ख़ान ऐ काबा) से मस्जिदुल अक़सा (आसमानी मस्जिद) तक की सैर कराई जिसके चौगिर्द हमने हर किस्म की बरकत मुहय्या कर रखी हैं ताकि हम उसको (अपनी कुदरत की) निशानियाँ दिखाए इसमें शक़ नहीं कि (वह सब कुछ) सुनता (और) देखता है