Skip to main content

وَلَا تَكُوْنُوْا كَالَّتِيْ نَقَضَتْ غَزْلَهَا مِنْۢ بَعْدِ قُوَّةٍ اَنْكَاثًاۗ تَتَّخِذُوْنَ اَيْمَانَكُمْ دَخَلًا ۢ بَيْنَكُمْ اَنْ تَكُوْنَ اُمَّةٌ هِيَ اَرْبٰى مِنْ اُمَّةٍ ۗاِنَّمَا يَبْلُوْكُمُ اللّٰهُ بِهٖۗ وَلَيُبَيِّنَنَّ لَكُمْ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ مَا كُنْتُمْ فِيْهِ تَخْتَلِفُوْنَ   ( النحل: ٩٢ )

And (do) not
وَلَا
और ना
be
تَكُونُوا۟
तुम हो जाओ
like her who
كَٱلَّتِى
उस औरत की तरह
untwists
نَقَضَتْ
जिसने तोड़ डाला
her spun yarn
غَزْلَهَا
सूत अपना
after
مِنۢ
बाद
after
بَعْدِ
बाद
strength
قُوَّةٍ
मज़्बूत (कातने) के
(into) untwisted strands
أَنكَٰثًا
टुकड़े-टुकड़े करके
you take
تَتَّخِذُونَ
तुम बना लेते हो
your oaths
أَيْمَٰنَكُمْ
अपनी क़समों को
(as) a deception
دَخَلًۢا
बहाना
between you
بَيْنَكُمْ
आपस में
because
أَن
ताकि
is
تَكُونَ
हो जाए
a community
أُمَّةٌ
एक जमाअत
[it]
هِىَ
वो
more numerous
أَرْبَىٰ
ज़्यादा बढ़ी हुई (माल में)
than
مِنْ
जमाअत से (दूसरी)
(another) community
أُمَّةٍۚ
जमाअत से (दूसरी)
Only
إِنَّمَا
बेशक
Allah tests you
يَبْلُوكُمُ
आज़माता है तुम्हें
Allah tests you
ٱللَّهُ
अल्लाह
by it
بِهِۦۚ
साथ उसके
And He will make clear
وَلَيُبَيِّنَنَّ
और अलबत्ता वो ज़रूर वाज़ेह करेगा
to you
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
(on) the Day
يَوْمَ
दिन
(of) the Resurrection
ٱلْقِيَٰمَةِ
क़यामत के
what
مَا
वो जो
you used (to)
كُنتُمْ
थे तुम
in it
فِيهِ
जिसमें
differ
تَخْتَلِفُونَ
तुम इख़्तिलाफ़ करते

Wala takoonoo kaallatee naqadat ghazlaha min ba'di quwwatin ankathan tattakhithoona aymanakum dakhalan baynakum an takoona ommatun hiya arba min ommatin innama yablookumu Allahu bihi walayubayyinanna lakum yawma alqiyamati ma kuntum feehi takhtalifoona (an-Naḥl 16:92)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

तुम उस स्त्री की भाँति न हो जाओ जिसने अपना सूत मेहनत से कातने के पश्चात टुकड़-टुकड़े करके रख दिया। तुम अपनी क़समों को परस्पर हस्तक्षेप करने का बहाना बनाने लगो इस ध्येय से कहीं ऐसा न हो कि एक गिरोह दूसरे गिरोह से बढ़ जाए। बात केवल यह है कि अल्लाह इस प्रतिज्ञा के द्वारा तुम्हारी परीक्षा लेता है और जिस बात में तुम विभेद करते हो उसकी वास्तविकता तो वह क़ियामत के दिन अवश्य ही तुम पर खोल देगा

English Sahih:

And do not be like she who untwisted her spun thread after it was strong [by] taking your oaths as [means of] deceit between you because one community is more plentiful [in number or wealth] than another community. Allah only tries you thereby. And He will surely make clear to you on the Day of Resurrection that over which you used to differ. ([16] An-Nahl : 92)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और तुम लोग (क़समों के तोड़ने में) उस औरत के ऐसे न हो जो अपना सूत मज़बूत कातने के बाद टुकड़े टुकड़े करके तोड़ डाले कि अपने एहदो को आपस में उस बात की मक्कारी का ज़रिया बनाने लगो कि एक गिरोह दूसरे गिरोह से (ख्वामख़वाह) बढ़ जाए इससे बस ख़ुदा तुमको आज़माता है (कि तुम किसी की पालाइश करते हो) और जिन बातों में तुम दुनिया में झगड़ते थे क़यामत के दिन ख़ुदा खुद तुम से साफ साफ बयान कर देगा