وَاَلْقَوْا اِلَى اللّٰهِ يَوْمَىِٕذِ ِۨالسَّلَمَ وَضَلَّ عَنْهُمْ مَّا كَانُوْا يَفْتَرُوْنَ ( النحل: ٨٧ )
And they (will) offer
وَأَلْقَوْا۟
और वो पेश करेंगे
to
إِلَى
तरफ़ अल्लाह के
Allah
ٱللَّهِ
तरफ़ अल्लाह के
(on) that Day
يَوْمَئِذٍ
उस दिन
the submission
ٱلسَّلَمَۖ
सुलह
and (is) lost
وَضَلَّ
और गुम हो जाऐंगे
from them
عَنْهُم
उनसे
what
مَّا
जो
they used (to)
كَانُوا۟
थे वो
invent
يَفْتَرُونَ
वो झूठ गढ़ते
Waalqaw ila Allahi yawmaithin alssalama wadalla 'anhum ma kanoo yaftaroona (an-Naḥl 16:87)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उस दिन वे अल्लाह के आगे आज्ञाकारी एवं वशीभूत होकर आ पड़ेगे। और जो कुछ वे घड़ा करते थे वह सब उनसे खोकर रह जाएगा
English Sahih:
And they will impart to Allah that Day [their] submission, and lost from them is what they used to invent. ([16] An-Nahl : 87)