وَاللّٰهُ جَعَلَ لَكُمْ مِّمَّا خَلَقَ ظِلٰلًا وَّجَعَلَ لَكُمْ مِّنَ الْجِبَالِ اَكْنَانًا وَّجَعَلَ لَكُمْ سَرَابِيْلَ تَقِيْكُمُ الْحَرَّ وَسَرَابِيْلَ تَقِيْكُمْ بَأْسَكُمْ ۚ كَذٰلِكَ يُتِمُّ نِعْمَتَهٗ عَلَيْكُمْ لَعَلَّكُمْ تُسْلِمُوْنَ ( النحل: ٨١ )
WaAllahu ja'ala lakum mimma khalaqa thilalan waja'ala lakum mina aljibali aknanan waja'ala lakum sarabeela taqeekumu alharra wasarabeela taqeekum basakum kathalika yutimmu ni'matahu 'alaykum la'allakum tuslimoona (an-Naḥl 16:81)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और अल्लाह ने तुम्हारे लिए अपनी पैदा की हुई चीज़ों से छाँवों का प्रबन्ध किया और पहाड़ो में तुम्हारे लिए छिपने के स्थान बनाए और तुम्हें लिबास दिए जो गर्मी से बचाते है और कुछ अन्य वस्त्र भी दिए जो तुम्हारी लड़ाई में तुम्हारे लिए बचाव का काम करते है। इस प्रकार वह तुमपर अपनी नेमत पूरी करता है, ताकि तुम आज्ञाकारी बनो
English Sahih:
And Allah has made for you, from that which He has created, shadows [i.e., shade] and has made for you from the mountains, shelters and has made for you garments which protect you from the heat and garments [i.e., coats of mail] which protect you from your [enemy in] battle. Thus does He complete His favor upon you that you might submit [to Him]. ([16] An-Nahl : 81)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और ख़ुदा ही ने तुम्हारे आराम के लिए अपनी पैदा की हुईचीज़ों के साए बनाए और उसी ने तुम्हारे (छिपने बैठने) के वास्ते पहाड़ों में घरौन्दे (ग़ार वग़ैरह) बनाए और उसी ने तुम्हारे लिए कपड़े बनाए जो तुम्हें (सर्दी) गर्मी से महफूज़ रखें और (लोहे) के कुर्ते जो तुम्हें हाथियों की ज़द (मार) से बचा लंग़ यूँ ख़ुदा अपनी नेअमत तुम पर पूरी करता है