وَضَرَبَ اللّٰهُ مَثَلًا رَّجُلَيْنِ اَحَدُهُمَآ اَبْكَمُ لَا يَقْدِرُ عَلٰى شَيْءٍ وَّهُوَ كَلٌّ عَلٰى مَوْلٰىهُ ۗ اَيْنَمَا يُوَجِّهْهُّ لَا يَأْتِ بِخَيْرٍ ۖهَلْ يَسْتَوِيْ هُوَۙ وَمَنْ يَّأْمُرُ بِالْعَدْلِ وَهُوَ عَلٰى صِرَاطٍ مُّسْتَقِيْمٍ ࣖ ( النحل: ٧٦ )
Wadaraba Allahu mathalan rajulayni ahaduhuma abkamu la yaqdiru 'ala shayin wahuwa kallun 'ala mawlahu aynama yuwajjihhu la yati bikhayrin hal yastawee huwa waman yamuru bial'adli wahuwa 'ala siratin mustaqeemin (an-Naḥl 16:76)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अल्लाह ने एक और मिसाल पेश की है: दो व्यक्ति है। उनमें से एक गूँगा है। किसी चीज़ पर उसे अधिकार प्राप्त नहीं। वह अपने स्वामी पर एक बोझ है - उसे वह जहाँ भेजता है, कुछ भला करके नहीं लाता। क्या वह और जो न्याय का आदेश देता है और स्वयं भी सीधे मार्ग पर है वह, समान हो सकते है?
English Sahih:
And Allah presents an example of two men, one of them dumb and unable to do a thing, while he is a burden to his guardian. Wherever he directs him, he brings no good. Is he equal to one who commands justice, while he is on a straight path? ([16] An-Nahl : 76)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और ख़ुदा एक दूसरी मसल बयान फरमाता है दो आदमी हैं कि एक उनमें से बिल्कुल गूँगा उस पर गुलाम जो कुछ भी (बात वग़ैरह की) कुदरत नहीं रखता और (इस वजह से) वह अपने मालिक को दूभर हो रहा है कि उसको जिधर भेजता है (ख़ैर से) कभी भलाई नहीं लाता क्या ऐसा ग़ुलाम और वह शख़्श जो (लोगों को) अदल व मियाना रवी का हुक्म करता है वह खुद भी ठीक सीधी राह पर क़ायम है (दोनों बराबर हो सकते हैं (हरगिज़ नहीं)