وَاللّٰهُ فَضَّلَ بَعْضَكُمْ عَلٰى بَعْضٍ فِى الرِّزْقِۚ فَمَا الَّذِيْنَ فُضِّلُوْا بِرَاۤدِّيْ رِزْقِهِمْ عَلٰى مَا مَلَكَتْ اَيْمَانُهُمْ فَهُمْ فِيْهِ سَوَاۤءٌۗ اَفَبِنِعْمَةِ اللّٰهِ يَجْحَدُوْنَ ( النحل: ٧١ )
WaAllahu faddala ba'dakum 'ala ba'din fee alrrizqi fama allatheena fuddiloo biraddee rizqihim 'ala ma malakat aymanuhum fahum feehi sawaon afabini'mati Allahi yajhadoona (an-Naḥl 16:71)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और अल्लाह ने तुममें से किसी को किसी पर रोज़ी में बड़ाई दी है। किन्तु जिनको बड़ाई दी गई है वे ऐसे नहीं है कि अपनी रोज़ी उनकी ओर फेर दिया करते हों, जो उनके क़ब्ज़े में है कि वे सब इसमें बराबर हो जाएँ। फिर क्या अल्लाह के अनुग्रह का उन्हें इनकार है?
English Sahih:
And Allah has favored some of you over others in provision. But those who were favored [i.e., given more] would not hand over their provision to those whom their right hands possess [i.e., slaves] so they would be equal to them therein. Then is it the favor of Allah they reject? ([16] An-Nahl : 71)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और ख़ुदा ही ने तुममें से बाज़ को बाज़ पर रिज़क (दौलत में) तरजीह दी है फिर जिन लोगों को रोज़ी ज्यादा दी गई है वह लोग अपनी रोज़ी में से उन लोगों को जिन पर उनका दस्तरस (इख्तेयार) है (लौन्डी ग़ुलाम वग़ैरह) देने वाला नहीं (हालॉकि इस माल में तो सब के सब मालिक गुलाम वग़ैरह) बराबर हैं तो क्या ये लोग ख़ुदा की नेअमत के मुन्किर हैं