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وَيَجْعَلُوْنَ لِلّٰهِ مَا يَكْرَهُوْنَ وَتَصِفُ اَلْسِنَتُهُمُ الْكَذِبَ اَنَّ لَهُمُ الْحُسْنٰى لَا جَرَمَ اَنَّ لَهُمُ النَّارَ وَاَنَّهُمْ مُّفْرَطُوْنَ   ( النحل: ٦٢ )

And they assign
وَيَجْعَلُونَ
और वो मुक़र्रर करते हैं
to Allah
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए
what
مَا
जो
they dislike
يَكْرَهُونَ
वो (ख़ुद) नापसंद करते हैं
and assert
وَتَصِفُ
और बयान करती हैं
their tongues
أَلْسِنَتُهُمُ
ज़बानें उनकी
the lie
ٱلْكَذِبَ
झूठ
that
أَنَّ
कि बेशक
for them
لَهُمُ
उनके लिए
(is) the best
ٱلْحُسْنَىٰۖ
भलाई है
No
لَا
नहीं कोई शक
doubt
جَرَمَ
नहीं कोई शक
that
أَنَّ
यक़ीनन
for them
لَهُمُ
उनके लिए
(is) the Fire
ٱلنَّارَ
आग है
and that they
وَأَنَّهُم
और यक़ीनन वो
(will) be abandoned
مُّفْرَطُونَ
आगे पहुँचाए जाने वाले हैं

Wayaj'aloona lillahi ma yakrahoona watasifu alsinatuhumu alkathiba anna lahumu alhusna la jarama anna lahumu alnnara waannahum mufratoona (an-Naḥl 16:62)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

वे अल्लाह के लिए वह कुछ ठहराते है, जिसे ख़ुद अपने लिए नापसन्द करते है और उनकी ज़बाने झूठ कहती है कि उनके लिए अच्छा परिणाम है। निस्संदेह उनके लिए आग है और वे उसी में पड़े छोड़ दिए जाएँगे

English Sahih:

And they attribute to Allah that which they dislike [i.e., daughters], and their tongues assert the lie that they will have the best [from Him]. Assuredly, they will have the Fire, and they will be [therein] neglected. ([16] An-Nahl : 62)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और ये लोग खुद जिन बातों को पसन्द नहीं करते उनको ख़ुदा के वास्ते क़रार देते हैं और अपनी ही ज़बान से ये झूठे दावे भी करते हैं कि (आख़िरत में भी) उन्हीं के लिए भलाई है (भलाई तो नहीं मगर) हाँ उनके लिए जहन्नुम की आग ज़रुरी है और यही लोग सबसे पहले (उसमें) झोंके जाएँगें