وَلَوْ يُؤَاخِذُ اللّٰهُ النَّاسَ بِظُلْمِهِمْ مَّا تَرَكَ عَلَيْهَا مِنْ دَاۤبَّةٍ وَّلٰكِنْ يُّؤَخِّرُهُمْ اِلٰٓى اَجَلٍ مُّسَمًّىۚ فَاِذَا جَاۤءَ اَجَلُهُمْ لَا يَسْتَأْخِرُوْنَ سَاعَةً وَّلَا يَسْتَقْدِمُوْنَ ( النحل: ٦١ )
Walaw yuakhithu Allahu alnnasa bithulmihim ma taraka 'alayha min dabbatin walakin yuakhkhiruhum ila ajalin musamman faitha jaa ajaluhum la yastakhiroona sa'atan wala yastaqdimoona (an-Naḥl 16:61)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
यदि अल्लाह लोगों को उनके अत्याचार पर पकड़ने ही लग जाता तो धरती पर किसी जीवधारी को न छोड़ता, किन्तु वह उन्हें एक निश्चित समय तक टाले जाता है। फिर जब उनका नियत समय आ जाता है तो वे न तो एक घड़ी पीछे हट सकते है और न आगे बढ़ सकते है
English Sahih:
And if Allah were to impose blame on the people for their wrongdoing, He would not have left upon it [i.e., the earth] any creature, but He defers them for a specified term. And when their term has come, they will not remain behind an hour, nor will they precede [it]. ([16] An-Nahl : 61)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और अगर (कहीं) ख़ुदा अपने बन्दों की नाफरमानियों की गिरफ़त करता तो रुए ज़मीन पर किसी एक जानदार को बाक़ी न छोड़ता मगर वह तो एक मुक़र्रर वक्त तक उन सबको मोहलत देता है फिर जब उनका (वह) वक्त अा पहुँचेगा तो न एक घड़ी पीछे हट सकते हैं और न आगे बढ़ सकते हैं