اَفَاَمِنَ الَّذِيْنَ مَكَرُوا السَّيِّاٰتِ اَنْ يَّخْسِفَ اللّٰهُ بِهِمُ الْاَرْضَ اَوْ يَأْتِيَهُمُ الْعَذَابُ مِنْ حَيْثُ لَا يَشْعُرُوْنَۙ ( النحل: ٤٥ )
Do then feel secure
أَفَأَمِنَ
क्या फिर बेख़ौफ़ होगए
those who
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
plotted
مَكَرُوا۟
चालें चलीं
the evil deeds
ٱلسَّيِّـَٔاتِ
बुरी
that
أَن
कि
Allah will cave
يَخْسِفَ
धंसादे
Allah will cave
ٱللَّهُ
अल्लाह
with them
بِهِمُ
उन्हें
the earth
ٱلْأَرْضَ
ज़मीन में
or
أَوْ
या
will come to them
يَأْتِيَهُمُ
आजाए उनके पास
the punishment
ٱلْعَذَابُ
अज़ाब
from
مِنْ
जहाँ से
where
حَيْثُ
जहाँ से
not
لَا
नहीं वो शऊर रखते
they perceive?
يَشْعُرُونَ
नहीं वो शऊर रखते
Afaamina allatheena makaroo alssayyiati an yakhsifa Allahu bihimu alarda aw yatiyahumu al'athabu min haythu la yash'uroona (an-Naḥl 16:45)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर क्या वे लोग जो ऐसी बुरी-बुरी चालें चल रहे है, इस बात से निश्चिन्त हो गए है कि अल्लाह उन्हें धरती में धँसा दे या ऐसे मौके से उनपर यातना आ जाए जिसका उन्हें एहसास तक न हो?
English Sahih:
Then, do those who have planned evil deeds feel secure that Allah will not cause the earth to swallow them or that the punishment will not come upon them from where they do not perceive? ([16] An-Nahl : 45)