الَّذِيْنَ تَتَوَفّٰىهُمُ الْمَلٰۤىِٕكَةُ طَيِّبِيْنَ ۙيَقُوْلُوْنَ سَلٰمٌ عَلَيْكُمُ ادْخُلُوا الْجَنَّةَ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ( النحل: ٣٢ )
Allatheena tatawaffahumu almalaikatu tayyibeena yaqooloona salamun 'alaykumu odkhuloo aljannata bima kuntum ta'maloona (an-Naḥl 16:32)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जिनकी रूहों को फ़रिश्ते इस दशा में ग्रस्त करते है कि वे पाक और नेक होते है, वे कहते है, 'तुम पर सलाम हो! प्रवेश करो जन्नत में उसके बदले में जो कुछ तुम करते रहे हो।'
English Sahih:
The ones whom the angels take in death, [being] good and pure; [the angels] will say, "Peace be upon you. Enter Paradise for what you used to do." ([16] An-Nahl : 32)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ये) वह लोग हैं जिनकी रुहें फरिश्ते इस हालत में क़ब्ज़ करतें हैं कि वह (नजासते कुफ्र से) पाक व पाकीज़ा होते हैं तो फरिश्ते उनसे (निहायत तपाक से) कहते है सलामुन अलैकुम जो नेकियाँ दुनिया में तुम करते थे उसके सिले में जन्नत में (बेतकल्लुफ) चले जाओ