لِيَحْمِلُوْٓا اَوْزَارَهُمْ كَامِلَةً يَّوْمَ الْقِيٰمَةِ ۙوَمِنْ اَوْزَارِ الَّذِيْنَ يُضِلُّوْنَهُمْ بِغَيْرِ عِلْمٍ ۗ اَلَا سَاۤءَ مَا يَزِرُوْنَ ࣖ ( النحل: ٢٥ )
That they may bear
لِيَحْمِلُوٓا۟
ताकि वो उठालें
their own burdens
أَوْزَارَهُمْ
बोझ अपने
(in) full
كَامِلَةً
पूरे
on (the) Day
يَوْمَ
दिन
(of) the Resurrection
ٱلْقِيَٰمَةِۙ
क़यामत के
and of
وَمِنْ
और कुछ बोझ
the burdens
أَوْزَارِ
और कुछ बोझ
(of) those whom
ٱلَّذِينَ
उन लोगों के भी
they misled [them]
يُضِلُّونَهُم
वो गुमराह कर रहे हैं जिन्हें
without
بِغَيْرِ
बग़ैर
knowledge
عِلْمٍۗ
इल्म के
Unquestionably
أَلَا
ख़बरदार
evil
سَآءَ
कितना बुरा है
(is) what
مَا
जो
they will bear
يَزِرُونَ
बोझ वो उठा रहे हैं
Liyahmiloo awzarahum kamilatan yawma alqiyamati wamin awzari allatheena yudilloonahum bighayri 'ilmin ala saa ma yaziroona (an-Naḥl 16:25)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
इसका परिणाम यह होगा कि वे क़ियामत के दिन अपने बोझ भी पूरे उठाएँगे और उनके बोझ में से भी जिन्हें वे अज्ञानता के कारण पथभ्रष्ट कर रहे है। सुन लो, बहुत ही बुरा है वह बोझ जो वे उठा रहे है!
English Sahih:
That they may bear their own burdens [i.e., sins] in full on the Day of Resurrection and some of the burdens of those whom they misguide without [i.e., by lack of] knowledge. Unquestionably, evil is that which they bear. ([16] An-Nahl : 25)