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ثُمَّ اِنَّ رَبَّكَ لِلَّذِيْنَ هَاجَرُوْا مِنْۢ بَعْدِ مَا فُتِنُوْا ثُمَّ جَاهَدُوْا وَصَبَرُوْاۚ اِنَّ رَبَّكَ مِنْۢ بَعْدِهَا لَغَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ࣖ   ( النحل: ١١٠ )

Then
ثُمَّ
फिर
indeed
إِنَّ
बेशक
your Lord
رَبَّكَ
रब आपका
to those who
لِلَّذِينَ
उनके लिए जिन्होंने
emigrated
هَاجَرُوا۟
हिजरत की
after
مِنۢ
बाद इसके
after
بَعْدِ
बाद इसके
what
مَا
जो
they had been put to trials
فُتِنُوا۟
वो आज़माइश में डाले गए
then
ثُمَّ
फिर
strove hard
جَٰهَدُوا۟
उन्होंने जिहाद किया
and were patient
وَصَبَرُوٓا۟
और उन्होंने सबर किया
Indeed
إِنَّ
बेशक
your Lord
رَبَّكَ
रब आपका
after it
مِنۢ
बाद इसके
after it
بَعْدِهَا
बाद इसके
surely is Oft-Forgiving
لَغَفُورٌ
अलबत्ता बहुत बख़्शने वाला है
Most Merciful
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है

Thumma inna rabbaka lillatheena hajaroo min ba'di ma futinoo thumma jahadoo wasabaroo inna rabbaka min ba'diha laghafoorun raheemun (an-Naḥl 16:110)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

फिर तुम्हारा रब उन लोगों के लिए जिन्होंने इसके उपरान्त कि वे आज़माइश में पड़ चुके थे घर-बार छोड़ा, फिर जिहाद (संघर्ष) किया और जमे रहे तो इन बातों के पश्चात तो निश्चय ही तुम्हारा रब बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है

English Sahih:

Then, indeed your Lord, to those who emigrated after they had been compelled [to say words of disbelief] and thereafter fought [for the cause of Allah] and were patient – indeed, your Lord, after that, is Forgiving and Merciful ([16] An-Nahl : 110)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

फिर इसमें शक़ नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार उन लोगों को जिन्होने मुसीबत में मुब्तिला होने क बाद घर बार छोडे फ़िर (ख़ुदा की राह में) जिहाद किए और तकलीफों पर सब्र किया इसमें शक़ नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार इन सब बातों के बाद अलबत्ता बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है