يُنْۢبِتُ لَكُمْ بِهِ الزَّرْعَ وَالزَّيْتُوْنَ وَالنَّخِيْلَ وَالْاَعْنَابَ وَمِنْ كُلِّ الثَّمَرٰتِۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيَةً لِّقَوْمٍ يَّتَفَكَّرُوْنَ ( النحل: ١١ )
He causes to grow
يُنۢبِتُ
वो उगाता है
for you
لَكُم
तुम्हारे लिए
with it
بِهِ
साथ उसके
the crops
ٱلزَّرْعَ
खेती
and the olives
وَٱلزَّيْتُونَ
ज़ैतून
and the date-palms
وَٱلنَّخِيلَ
और खजूर के दरख़्त
and the grapes
وَٱلْأَعْنَٰبَ
और अंगूर
and of
وَمِن
और हर क़िस्म में से
every kind
كُلِّ
और हर क़िस्म में से
(of) fruits
ٱلثَّمَرَٰتِۗ
फलों की
Indeed
إِنَّ
यक़ीनन
in
فِى
इसमें
that
ذَٰلِكَ
इसमें
surely (is) a sign
لَءَايَةً
अलबत्ता एक निशानी है
for a people
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
who reflect
يَتَفَكَّرُونَ
जो ग़ौरो फ़िक्र करते हैं
Yunbitu lakum bihi alzzar'a waalzzaytoona waalnnakheela waala'naba wamin kulli alththamarati inna fee thalika laayatan liqawmin yatafakkaroona (an-Naḥl 16:11)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और उसी से वह तुम्हारे लिए खेतियाँ उगाता है और ज़ैतून, खजूर, अंगूर और हर प्रकार के फल पैदा करता है। निश्चय ही सोच-विचार करनेवालों के लिए इसमें एक निशानी है
English Sahih:
He causes to grow for you thereby the crops, olives, palm trees, grapevines, and of all the fruits. Indeed in that is a sign for a people who give thought. ([16] An-Nahl : 11)