وَلَقَدْ نَعْلَمُ اَنَّهُمْ يَقُوْلُوْنَ اِنَّمَا يُعَلِّمُهٗ بَشَرٌۗ لِسَانُ الَّذِيْ يُلْحِدُوْنَ اِلَيْهِ اَعْجَمِيٌّ وَّهٰذَا لِسَانٌ عَرَبِيٌّ مُّبِيْنٌ ( النحل: ١٠٣ )
Walaqad na'lamu annahum yaqooloona innama yu'allimuhu basharun lisanu allathee yulhidoona ilayhi a'jamiyyun wahatha lisanun 'arabiyyun mubeenun (an-Naḥl 16:103)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
हमें मालूम है कि वे कहते है, 'उसको तो बस एक आदमी सिखाता पढ़ाता है।' हालाँकि जिसकी ओर वे संकेत करते है उसकी भाषा विदेशी है और यह स्पष्ट अरबी भाषा है
English Sahih:
And We certainly know that they say, "It is only a human being who teaches him [i.e., the Prophet (^)]." The tongue of the one they refer to is foreign, and this [recitation, i.e., Quran] is [in] a clear Arabic language. ([16] An-Nahl : 103)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और (ऐ रसूल) हम तहक़ीक़तन जानते हैं कि ये कुफ्फार तुम्हारी निस्बत कहा करते है कि उनको (तुम को) कोई आदमी क़ुरान सिखा दिया करता है हालॉकि बिल्कुल ग़लत है क्योंकि जिस शख्स की तरफ से ये लोग निस्बत देते हैं उसकी ज़बान तो अजमी है और ये तो साफ साफ अरबी ज़बान है