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وَاِذَا بَدَّلْنَآ اٰيَةً مَّكَانَ اٰيَةٍ ۙوَّاللّٰهُ اَعْلَمُ بِمَا يُنَزِّلُ قَالُوْٓا اِنَّمَآ اَنْتَ مُفْتَرٍۗ بَلْ اَكْثَرُهُمْ لَا يَعْلَمُوْنَ   ( النحل: ١٠١ )

And when
وَإِذَا
और जब
We substitute
بَدَّلْنَآ
बदल देते हैं हम
a Verse
ءَايَةً
किसी आयत को
(in) place
مَّكَانَ
जगह
(of) a Verse
ءَايَةٍۙ
आयत के
and Allah -
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
(is) most knowing
أَعْلَمُ
ख़ूब जानता है
of what
بِمَا
उसको जो
He sends down
يُنَزِّلُ
वो नाज़िल करता है
they say
قَالُوٓا۟
वो कहते हैं
"Only
إِنَّمَآ
बेशक
you
أَنتَ
तू
(are) an inventor"
مُفْتَرٍۭۚ
गढ़ने वाला है
Nay
بَلْ
बल्कि
most of them
أَكْثَرُهُمْ
अक्सर उनके
(do) not
لَا
नहीं वो जानते
know
يَعْلَمُونَ
नहीं वो जानते

Waitha baddalna ayatan makana ayatin waAllahu a'lamu bima yunazzilu qaloo innama anta muftarin bal aktharuhum la ya'lamoona (an-Naḥl 16:101)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जब हम किसी आयत की जगह दूसरी आयत बदलकर लाते है - और अल्लाह भली-भाँति जानता है जो कुछ वह अवतरित करता है - तो वे कहते है, 'तुम स्वयं ही घड़ लेते हो!' नहीं, बल्कि उनमें से अधिकतर लोग नहीं जानते

English Sahih:

And when We substitute a verse in place of a verse – and Allah is most knowing of what He sends down – they say, "You, [O Muhammad], are but an inventor [of lies]." But most of them do not know. ([16] An-Nahl : 101)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और (ऐ रसूल) हम जब एक आयत के बदले दूसरी आयत नाज़िल करते हैं तो हालॉकि ख़ुदा जो चीज़ नाज़िल करता है उस (की मसलहतों) से खूब वाक़िफ है मगर ये लोग (तुम को) कहने लगते हैं कि तुम बस बिल्कुल मुज़तरी (ग़लत बयान करने वाले) हो बल्कि खुद उनमें के बहुतेरे (मसालेह को) नहीं जानते