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ذَرْهُمْ يَأْكُلُوْا وَيَتَمَتَّعُوْا وَيُلْهِهِمُ الْاَمَلُ فَسَوْفَ يَعْلَمُوْنَ   ( الحجر: ٣ )

Leave them
ذَرْهُمْ
छोड़ दीजिए उन्हें
(to) eat
يَأْكُلُوا۟
वो खाऐं
and enjoy
وَيَتَمَتَّعُوا۟
और मज़े उड़ाऐं
and diverted them
وَيُلْهِهِمُ
और ग़ाफ़िल रखे उन्हें
the hope
ٱلْأَمَلُۖ
उम्मीद
then soon
فَسَوْفَ
पस अनक़रीब
they will come to know
يَعْلَمُونَ
वो जान लेंगे

Tharhum yakuloo wayatamatta'oo wayulhihimu alamalu fasawfa ya'lamoona (al-Ḥijr 15:3)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

छोड़ो उन्हें खाएँ और मज़े उड़ाएँ और (लम्बी) आशा उन्हें भुलावे में डाले रखे। उन्हें जल्द ही मालूम हो जाएगा!

English Sahih:

Let them eat and enjoy themselves and be diverted by [false] hope, for they are going to know. ([15] Al-Hijr : 3)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

काश (हम भी) मुसलमान होते (ऐ रसूल) उन्हें उनकी हालत पर रहने दो कि खा पी लें और (दुनिया के चन्द रोज़) चैन कर लें और उनकी तमन्नाएँ उन्हें खेल तमाशे में लगाए रहीं