Skip to main content

وَلَا تَحْسَبَنَّ اللّٰهَ غَافِلًا عَمَّا يَعْمَلُ الظّٰلِمُوْنَ ەۗ اِنَّمَا يُؤَخِّرُهُمْ لِيَوْمٍ تَشْخَصُ فِيْهِ الْاَبْصَارُۙ  ( ابراهيم: ٤٢ )

And (do) not
وَلَا
और ना
think
تَحْسَبَنَّ
तुम हरगिज़ समझो
(that) Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह को
(is) unaware
غَٰفِلًا
ग़ाफ़िल
of what
عَمَّا
उससे जो
do
يَعْمَلُ
अमल करते हैं
the wrongdoers
ٱلظَّٰلِمُونَۚ
ज़ालिम लोग
Only
إِنَّمَا
बेशक
He gives them respite
يُؤَخِّرُهُمْ
वो ढील दे रहा है उन्हें
to a Day
لِيَوْمٍ
उस दिन के लिए
will stare
تَشْخَصُ
पथरा जाऐंगी
in it
فِيهِ
जिसमें
the eyes
ٱلْأَبْصَٰرُ
निगाहें

Wala tahsabanna Allaha ghafilan 'amma ya'malu alththalimoona innama yuakhkhiruhum liyawmin tashkhasu feehi alabsaru (ʾIbrāhīm 14:42)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

अब ये अत्याचारी जो कुछ कर रहे है, उससे अल्लाह को असावधान न समझो। वह तो इन्हें बस उस दिन तक के लिए टाल रहा है जबकि आँखे फटी की फटी रह जाएँगी,

English Sahih:

And never think that Allah is unaware of what the wrongdoers do. He only delays them [i.e., their account] for a Day when eyes will stare [in horror]. ([14] Ibrahim : 42)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जो कुछ ये कुफ्फ़ार (कुफ्फ़ारे मक्का) किया करते हैं उनसे ख़ुदा को ग़ाफिल न समझना (और उन पर फौरन अज़ाब न करने की) सिर्फ ये वजह है कि उस दिन तक की मोहलत देता है जिस दिन लोगों की ऑंखों के ढेले (ख़ौफ के मारे) पथरा जाएँगें