وَبَرَزُوْا لِلّٰهِ جَمِيْعًا فَقَالَ الضُّعَفٰۤؤُا لِلَّذِيْنَ اسْتَكْبَرُوْٓا اِنَّا كُنَّا لَكُمْ تَبَعًا فَهَلْ اَنْتُمْ مُّغْنُوْنَ عَنَّا مِنْ عَذَابِ اللّٰهِ مِنْ شَيْءٍ ۗقَالُوْا لَوْ هَدٰىنَا اللّٰهُ لَهَدَيْنٰكُمْۗ سَوَاۤءٌ عَلَيْنَآ اَجَزِعْنَآ اَمْ صَبَرْنَا مَا لَنَا مِنْ مَّحِيْصٍ ࣖ ( ابراهيم: ٢١ )
Wabarazoo lillahi jamee'an faqala alddu'afao lillatheena istakbaroo inna kunna lakum taba'an fahal antum mughnoona 'anna min 'athabi Allahi min shayin qaloo law hadana Allahu lahadaynakum sawaon 'alayna ajazi'na am sabarna ma lana min maheesin (ʾIbrāhīm 14:21)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
सबके सब अल्लाह के सामने खुलकर आ जाएँगे तो कमज़ोर लोग, उन लोगों से जो बड़े बने हुए थे, कहेंगे, 'हम तो तुम्हारे पीछे चलते थे। तो क्या तुम अल्लाह की यातना में से कुछ हमपर टाल सकते हो? वे कहेंगे, 'यदि अल्लाह हमें मार्ग दिखाता तो हम तुम्हें भी दिखाते। अब यदि हम व्याकुल हों या धैर्य से काम लें, हमारे लिए बराबर है। हमारे लिए बचने का कोई उपाय नहीं।'
English Sahih:
And they will come out [for judgement] before Allah all together, and the weak will say to those who were arrogant, "Indeed, we were your followers, so can you avail us anything against the punishment of Allah?" They will say, "If Allah had guided us, we would have guided you. It is all the same for us whether we show intolerance or are patient: there is for us no place of escape." ([14] Ibrahim : 21)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और (क़यामत के दिन) लोग सबके सब ख़ुदा के सामने निकल खड़े होगें जो लोग (दुनिया में कमज़ोर थे बड़ी इज्ज़त रखने वालो से (उस वक्त) क़हेंगें कि हम तो बस तुम्हारे क़दम ब क़दम चलने वाले थे तो क्या (आज) तुम ख़ुदा के अज़ाब से कुछ भी हमारे आड़े आ सकते हो वह जवाब देगें काश ख़ुदा हमारी हिदायत करता तो हम भी तुम्हारी हिदायत करते हम ख्वाह बेक़रारी करें ख्वाह सब्र करे (दोनो) हमारे लिए बराबर है (क्योंकि अज़ाब से) हमें तो अब छुटकारा नहीं