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قَالَتْ لَهُمْ رُسُلُهُمْ اِنْ نَّحْنُ اِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُكُمْ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ يَمُنُّ عَلٰى مَنْ يَّشَاۤءُ مِنْ عِبَادِهٖۗ وَمَا كَانَ لَنَآ اَنْ نَّأْتِيَكُمْ بِسُلْطٰنٍ اِلَّا بِاِذْنِ اللّٰهِ ۗوَعَلَى اللّٰهِ فَلْيَتَوَكَّلِ الْمُؤْمِنُوْنَ   ( ابراهيم: ١١ )

Said
قَالَتْ
कहा
to them
لَهُمْ
उन्हें
their Messengers
رُسُلُهُمْ
उनके रसूलों ने
"Not
إِن
नहीं हैं
we (are)
نَّحْنُ
हम
but
إِلَّا
मगर
a human
بَشَرٌ
एक इन्सान
like you
مِّثْلُكُمْ
तुम जैसे
but
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह
bestows His Grace
يَمُنُّ
एहसान करता है
on
عَلَىٰ
जिस पर
whom
مَن
जिस पर
He wills
يَشَآءُ
वो चाहता है
of
مِنْ
अपने बन्दों में से
His slaves
عِبَادِهِۦۖ
अपने बन्दों में से
And not
وَمَا
और नहीं
is
كَانَ
है (मुमकिन)
for us
لَنَآ
हमारे लिए
that
أَن
कि
we bring you
نَّأْتِيَكُم
हम ले आऐं तुम्हारे पास
an authority
بِسُلْطَٰنٍ
कोई दलील
except
إِلَّا
मगर
by the permission of Allah
بِإِذْنِ
अल्लाह के इज़्न से
by the permission of Allah
ٱللَّهِۚ
अल्लाह के इज़्न से
And upon
وَعَلَى
और अल्लाह ही पर
Allah
ٱللَّهِ
और अल्लाह ही पर
so let put (their) trust
فَلْيَتَوَكَّلِ
पस चाहिए कि तवक्कल करें
the believers
ٱلْمُؤْمِنُونَ
ईमान लाने वाले

Qalat lahum rusuluhum in nahnu illa basharun mithlukum walakinna Allaha yamunnu 'ala man yashao min 'ibadihi wama kana lana an natiyakum bisultanin illa biithni Allahi wa'ala Allahi falyatawakkali almuminoona (ʾIbrāhīm 14:11)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

उनके रसूलों ने उनसे कहा, 'हम तो वास्तव में बस तुम्हारे ही जैसे मनुष्य है, किन्तु अल्लाह अपने बन्दों में से जिनपर चाहता है एहसान करता है और यह हमारा काम नहीं कि तुम्हारे सामने कोई प्रमाण ले आएँ। यह तो बस अल्लाह के आदेश के पश्चात ही सम्भव है; और अल्लाह ही पर ईमानवालों को भरोसा करना चाहिए

English Sahih:

Their messengers said to them, "We are only men like you, but Allah confers favor upon whom He wills of His servants. It has never been for us to bring you evidence except by permission of Allah. And upon Allah let the believers rely. ([14] Ibrahim : 11)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

उनके पैग़म्बरों ने उनके जवाब में कहा कि इसमें शक़ नहीं कि हम भी तुम्हारे ही से आदमी हैं मगर ख़ुदा अपने बन्दों में जिस पर चाहता है अपना फज़ल (व करम) करता है (और) रिसालत अता करता है और हमारे एख्तियार मे ये बात नही कि बे हुक्मे ख़ुदा (तुम्हारी फरमाइश के मुवाफिक़) हम कोई मौजिज़ा तुम्हारे सामने ला सकें और ख़ुदा ही पर सब ईमानदारों को भरोसा रखना चाहिए