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وَيَقُوْلُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا لَسْتَ مُرْسَلًا ۗ قُلْ كَفٰى بِاللّٰهِ شَهِيْدًاۢ بَيْنِيْ وَبَيْنَكُمْۙ وَمَنْ عِنْدَهٗ عِلْمُ الْكِتٰبِ ࣖ   ( الرعد: ٤٣ )

And say
وَيَقُولُ
और कहते हैं
those who
ٱلَّذِينَ
वो लोग जिन्होंने
disbelieve
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
"You are not
لَسْتَ
नहीं हैं आप
a Messenger"
مُرْسَلًاۚ
रसूल
Say
قُلْ
कह दीजिए
"Sufficient
كَفَىٰ
काफ़ी है
(is) Allah
بِٱللَّهِ
अल्लाह
(as) a Witness
شَهِيدًۢا
गवाह
between me
بَيْنِى
दर्मियान मेरे
and between you
وَبَيْنَكُمْ
और दर्मियान तुम्हारे
and whoever
وَمَنْ
और वो (भी) जो
[he] has
عِندَهُۥ
अपने पास (रखता है)
knowledge
عِلْمُ
इल्म
(of) the Book"
ٱلْكِتَٰبِ
किताब का

Wayaqoolu allatheena kafaroo lasta mursalan qul kafa biAllahi shaheedan baynee wabaynakum waman 'indahu 'ilmu alkitabi (ar-Raʿd 13:43)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जिन लोगों ने इनकार की नीति अपनाई, वे कहते है, 'तुम कोई रसूल नहीं हो।' कह दो, 'मेरे और तुम्हारे बीच अल्लाह की और जिस किसी के पास किताब का ज्ञान है उसकी, गवाही काफ़ी है।'

English Sahih:

And those who have disbelieved say, "You are not a messenger." Say, [O Muhammad], "Sufficient is Allah as Witness between me and you, and [the witness of] whoever has knowledge of the Scripture." ([13] Ar-Ra'd : 43)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और (ऐ रसूल) काफिर लोग कहते हैं कि तुम पैग़म्बर नही हो तो तुम (उनसे) कह दो कि मेरे और तुम्हारे दरमियान मेरी रिसालत की गवाही के वास्ते ख़ुदा और वह शख़्श जिसके पास (आसमानी) किताब का इल्म है काफी है