وَالَّذِيْنَ اٰتَيْنٰهُمُ الْكِتٰبَ يَفْرَحُوْنَ بِمَآ اُنْزِلَ اِلَيْكَ وَمِنَ الْاَحْزَابِ مَنْ يُّنْكِرُ بَعْضَهٗ ۗ قُلْ اِنَّمَآ اُمِرْتُ اَنْ اَعْبُدَ اللّٰهَ وَلَآ اُشْرِكَ بِهٖ ۗاِلَيْهِ اَدْعُوْا وَاِلَيْهِ مَاٰبِ ( الرعد: ٣٦ )
Waallatheena ataynahumu alkitaba yafrahoona bima onzila ilayka wamina alahzabi man yunkiru ba'dahu qul innama omirtu an a'buda Allaha wala oshrika bihi ilayhi ad'oo wailayhi maabi (ar-Raʿd 13:36)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जिन लोगों को हमने किताब प्रदान की है वे उससे, जो तुम्हारी ओर उतारा है, हर्षित होते है और विभिन्न गिरोहों के कुछ लोग ऐसे भी है जो उसकी कुछ बातों का इनकार करते है। कह दो, 'मुझे पर बस यह आदेश हुआ है कि मैं अल्लाह की बन्दगी करूँ और उसका सहभागी न ठहराऊँ। मैं उसी की ओर बुलाता हूँ और उसी की ओर मुझे लौटकर जाना है।'
English Sahih:
And [the believers among] those to whom We have given the [previous] Scripture rejoice at what has been revealed to you, [O Muhammad], but among the [opposing] factions are those who deny part of it [i.e., the Quran]. Say, "I have only been commanded to worship Allah and not associate [anything] with Him. To Him I invite, and to Him is my return." ([13] Ar-Ra'd : 36)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और (ए रसूल) जिन लोगों को हमने किताब दी है वह तो जो (एहकाम) तुम्हारे पास नाज़िल किए गए हैं सब ही से खुश होते हैं और बाज़ फिरके उसकी बातों से इन्कार करते हैं तुम (उनसे) कह दो कि (तुम मानो या न मानो) मुझे तो ये हुक्म दिया गया है कि मै ख़ुदा ही की इबादत करु और किसी को उसका शरीक न बनाऊ मै (सब को) उसी की तरफ बुलाता हूँ और हर शख़्श को हिर फिर कर उसकी तरफ जाना है