وَهُوَ الَّذِيْ مَدَّ الْاَرْضَ وَجَعَلَ فِيْهَا رَوَاسِيَ وَاَنْهٰرًا ۗوَمِنْ كُلِّ الثَّمَرٰتِ جَعَلَ فِيْهَا زَوْجَيْنِ اثْنَيْنِ يُغْشِى الَّيْلَ النَّهَارَۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّقَوْمٍ يَّتَفَكَّرُوْنَ ( الرعد: ٣ )
Wahuwa allathee madda alarda waja'ala feeha rawasiya waanharan wamin kulli alththamarati ja'ala feeha zawjayni ithnayni yughshee allayla alnnahara inna fee thalika laayatin liqawmin yatafakkaroona (ar-Raʿd 13:3)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और वही है जिसने धरती को फैलाया और उसमें जमे हुए पर्वत और नदियाँ बनाई और हरेक पैदावार की दो-दो क़िस्में बनाई। वही रात से दिन को छिपा देता है। निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए निशानियाँ है जो सोच-विचार से काम लेते है
English Sahih:
And it is He who spread the earth and placed therein firmly set mountains and rivers; and from all of the fruits He made therein two mates; He causes the night to cover the day. Indeed in that are signs for a people who give thought. ([13] Ar-Ra'd : 3)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(अपनी) आयतें तफसीलदार बयान करता है और वह वही है जिसने ज़मीन को बिछाया और उसमें (बड़े बड़े) अटल पहाड़ और दरिया बनाए और उसने हर तरह के मेवों की दो दो किस्में पैदा की (जैसे खट्टे मीठे) वही रात (के परदे) से दिन को ढाक देता है इसमें शक़ नहीं कि जो लोग और ग़ौर व फिक्र करते हैं उनके लिए इसमें (कुदरत खुदा की) बहुतेरी निशानियाँ हैं