قَالَ بَلْ سَوَّلَتْ لَكُمْ اَنْفُسُكُمْ اَمْرًاۗ فَصَبْرٌ جَمِيْلٌ ۗعَسَى اللّٰهُ اَنْ يَّأْتِيَنِيْ بِهِمْ جَمِيْعًاۗ اِنَّهٗ هُوَ الْعَلِيْمُ الْحَكِيْمُ ( يوسف: ٨٣ )
Qala bal sawwalat lakum anfusukum amran fasabrun jameelun 'asa Allahu an yatiyanee bihim jamee'an innahu huwa al'aleemu alhakeemu (Yūsuf 12:83)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उसने कहा, 'नहीं, बल्कि तुम्हारे जी ही ने तुम्हे पट्टी पढ़ाकर एक बात बना दी है। अब धैर्य से काम लेना ही उत्तम है! बहुत सम्भव है कि अल्लाह उन सबको मेरे पास ले आए। वह तो सर्वज्ञ, अत्यन्त तत्वदर्शी है।'
English Sahih:
[Jacob] said, "Rather, your souls have enticed you to something, so patience is most fitting. Perhaps Allah will bring them to me all together. Indeed, it is He who is the Knowing, the Wise." ([12] Yusuf : 83)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ग़रज़ जब उन लोगों ने जाकर बयान किया तो) याक़ूब न कहा (उसने चोरी नहीं की) बल्कि ये बात तुमने अपने दिल से गढ़ ली है तो (ख़ैर) सब्र (और ख़ुदा का) शुक्र ख़ुदा से तो (मुझे) उम्मीद है कि मेरे सब (लड़कों) को मेरे पास पहुँचा दे बेशक वह बड़ा वाकिफ़ कार हकीम है