وَسْـَٔلِ الْقَرْيَةَ الَّتِيْ كُنَّا فِيْهَا وَالْعِيْرَ الَّتِيْٓ اَقْبَلْنَا فِيْهَاۗ وَاِنَّا لَصٰدِقُوْنَ ( يوسف: ٨٢ )
And ask
وَسْـَٔلِ
और पूछ लें
the town
ٱلْقَرْيَةَ
बस्ती वालों से
where
ٱلَّتِى
वो जो
we were
كُنَّا
थे हम
[in it]
فِيهَا
जिस में
and the caravan
وَٱلْعِيرَ
और क़ाफ़िले वालों से
which
ٱلَّتِىٓ
वो जो
we returned
أَقْبَلْنَا
आए हैं हम
[in it]
فِيهَاۖ
जिस में
And indeed we
وَإِنَّا
और बेशक हम
surely (are) truthful
لَصَٰدِقُونَ
अलबत्ता सच्चे हैं
Waisali alqaryata allatee kunna feeha waal'eera allatee aqbalna feeha wainna lasadiqoona (Yūsuf 12:82)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
आप उस बस्ती से पूछ लीजिए जहाँ हम थे और उस क़ाफ़िलें से भी जिसके साथ होकर हम आए। निस्संदेह हम बिलकुल सच्चे है।'
English Sahih:
And ask the city in which we were and the caravan in which we came – and indeed, we are truthful.'" ([12] Yusuf : 82)