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اِرْجِعُوْٓا اِلٰٓى اَبِيْكُمْ فَقُوْلُوْا يٰٓاَبَانَآ اِنَّ ابْنَكَ سَرَقَۚ وَمَا شَهِدْنَآ اِلَّا بِمَا عَلِمْنَا وَمَا كُنَّا لِلْغَيْبِ حٰفِظِيْنَ  ( يوسف: ٨١ )

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ٱرْجِعُوٓا۟
लौट जाओ
to
إِلَىٰٓ
तरफ़ अपने वालिद के
your father
أَبِيكُمْ
तरफ़ अपने वालिद के
and say
فَقُولُوا۟
फिर कहो
O our father!
يَٰٓأَبَانَآ
ऐ हमारे अब्बा जान
Indeed
إِنَّ
बेशक
your son
ٱبْنَكَ
आपके बेटे ने
has stolen
سَرَقَ
चोरी की थी
and not
وَمَا
और नहीं
we testify
شَهِدْنَآ
गवाही दी हमने
except
إِلَّا
मगर
of what
بِمَا
वो जिस का
we knew
عَلِمْنَا
इल्म था हमें
And not
وَمَا
और नहीं
we were
كُنَّا
थे हम
of the unseen
لِلْغَيْبِ
ग़ैब की
guardians
حَٰفِظِينَ
हिफ़ाज़त करने वाले

Irji'oo ila abeekum faqooloo ya abana inna ibnaka saraqa wama shahidna illa bima 'alimna wama kunna lilghaybi hafitheena (Yūsuf 12:81)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

तुम अपने बाप के पास लौटकर जाओ और कहो, 'ऐ हमारे बाप! आपके बेटे ने चोरी की है। हमने तो वही कहा जो हमें मालूम हो सका, परोक्ष तो हमारी दृष्टि में था नहीं

English Sahih:

Return to your father and say, 'O our father, indeed your son has stolen, and we did not testify except to what we knew. And we were not witnesses of the unseen. ([12] Yusuf : 81)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

तुम लोग अपने वालिद के पास पलट के जाओ और उनसे जाकर अर्ज़ करो ऐ अब्बा अपके साहबज़ादे ने चोरी की और हम लोगों ने तो अपनी समझ के मुताबिक़ (उसके ले आने का एहद किया था और हम कुछ (अर्ज़) ग़ैबी (आफत) के निगेहबान थे नहीं