فَبَدَاَ بِاَوْعِيَتِهِمْ قَبْلَ وِعَاۤءِ اَخِيْهِ ثُمَّ اسْتَخْرَجَهَا مِنْ وِّعَاۤءِ اَخِيْهِۗ كَذٰلِكَ كِدْنَا لِيُوْسُفَۗ مَا كَانَ لِيَأْخُذَ اَخَاهُ فِيْ دِيْنِ الْمَلِكِ اِلَّآ اَنْ يَّشَاۤءَ اللّٰهُ ۗنَرْفَعُ دَرَجَاتٍ مَّنْ نَّشَاۤءُۗ وَفَوْقَ كُلِّ ذِيْ عِلْمٍ عَلِيْمٌ ( يوسف: ٧٦ )
Fabadaa biaw'iyatihim qabla wi'ai akheehi thumma istakhrajaha min wi'ai akheehi kathalika kidna liyoosufa ma kana liyakhutha akhahu fee deeni almaliki illa an yashaa Allahu narfa'u darajatin man nashao wafawqa kulli thee 'ilmin 'aleemun (Yūsuf 12:76)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर उसके भाई की खुरजी से पहले उनकी ख़ुरजियाँ देखनी शुरू की; फिर उसके भाई की ख़ुरजी से उसे बरामद कर लिया। इस प्रकार हमने यूसुफ़ का उपाय किया। वह शाही क़ानून के अनुसार अपने भाई को प्राप्त नहीं कर सकता था। बल्कि अल्लाह ही की इच्छा लागू है। हम जिसको चाहे उसके दर्जे ऊँचे कर दें। और प्रत्येक ज्ञानवान से ऊपर एक ज्ञानवान मौजूद है
English Sahih:
So he began [the search] with their bags before the bag of his brother; then he extracted it from the bag of his brother. Thus did We plan for Joseph. He could not have taken his brother within the religion [i.e., law] of the king except that Allah willed. We raise in degrees whom We will, but over every possessor of knowledge is one [more] knowing. ([12] Yusuf : 76)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
हम लोग तो (अपने यहाँ) ज़ालिमों (चोरों) को इसी तरह सज़ा दिया करते हैं ग़रज़ यूसुफ ने अपने भाई का थैला खोलने ने से क़ब्ल दूसरे भाइयों के थैलों से (तलाशी) शुरू की उसके बाद (आख़िर में) उस प्याले को यूसुफ ने अपने भाई के थैले से बरामद किया यूसुफ को भाई के रोकने की हमने यू तदबीर बताइ वरना (बादशाह मिस्र) के क़ानून के मुवाफिक़ अपने भाई को रोक नहीं सकते थे मगर हाँ जब ख़ुदा चाहे हम जिसे चाहते हैं उसके दर्जे बुलन्द कर देते हैं और (दुनिया में) हर साहबे इल्म से बढ़कर एक और आलिम है