وَلَمَّا فَتَحُوْا مَتَاعَهُمْ وَجَدُوْا بِضَاعَتَهُمْ رُدَّتْ اِلَيْهِمْۗ قَالُوْا يٰٓاَبَانَا مَا نَبْغِيْۗ هٰذِهٖ بِضَاعَتُنَا رُدَّتْ اِلَيْنَا وَنَمِيْرُ اَهْلَنَا وَنَحْفَظُ اَخَانَا وَنَزْدَادُ كَيْلَ بَعِيْرٍۗ ذٰلِكَ كَيْلٌ يَّسِيْرٌ ( يوسف: ٦٥ )
Walamma fatahoo mata'ahum wajadoo bida'atahum ruddat ilayhim qaloo ya abana ma nabghee hathihi bida'atuna ruddat ilayna wanameeru ahlana wanahfathu akhana wanazdadu kayla ba'eerin thalika kaylun yaseerun (Yūsuf 12:65)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जब उन्होंने अपना सामान खोला, तो उन्होंने अपने माल अपनी ओर वापस किया हुआ पाया। वे बोले, 'ऐ मेरे बाप, हमें और क्या चाहिए! यह हमारा माल भी तो हमें लौटा दिया गया है। अब हम अपने घरवालों के लिए खाद्य-सामग्री लाएँगे और अपने भाई की रक्षा भी करेंगे। और एक ऊँट के बोझभर और अधिक लेंगे। इतना माप (ग़ल्ला) मिल जाना तो बिलकुल आसान है।'
English Sahih:
And when they opened their baggage, they found their merchandise returned to them. They said, "O our father, what [more] could we desire? This is our merchandise returned to us. And we will obtain supplies [i.e., food] for our family and protect our brother and obtain an increase of a camel's load; that is an easy measurement." ([12] Yusuf : 65)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और जब उन लोगों ने अपने अपने असबाब खोले तो अपनी अपनी पूंजी को देखा कि (वैसे ही) वापस कर दी गई है तो (अपने बाप से) कहने लगे ऐ अब्बा हमें (और) क्या चाहिए (देखिए) यह हमारी जमा पूंजी हमें वापस दे दी गयी है और (ग़ल्ला मुफ्त मिला अब इब्ने यामीन को जाने दीजिए तो) हम अपने एहलो अयाल के वास्ते ग़ल्ला लादें और अपने भाई की पूरी हिफाज़त करेगें और एक बार यतर ग़ल्ला और बढ़वा लाएंगें