وَقَالَ الَّذِى اشْتَرٰىهُ مِنْ مِّصْرَ لِامْرَاَتِهٖٓ اَكْرِمِيْ مَثْوٰىهُ عَسٰىٓ اَنْ يَّنْفَعَنَآ اَوْ نَتَّخِذَهٗ وَلَدًا ۗوَكَذٰلِكَ مَكَّنَّا لِيُوْسُفَ فِى الْاَرْضِۖ وَلِنُعَلِّمَهٗ مِنْ تَأْوِيْلِ الْاَحَادِيْثِۗ وَاللّٰهُ غَالِبٌ عَلٰٓى اَمْرِهٖ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا يَعْلَمُوْنَ ( يوسف: ٢١ )
Waqala allathee ishtarahu min misra liimraatihi akrimee mathwahu 'asa an yanfa'ana aw nattakhithahu waladan wakathalika makkanna liyoosufa fee alardi walinu'allimahu min taweeli alahadeethi waAllahu ghalibun 'ala amrihi walakinna akthara alnnasi la ya'lamoona (Yūsuf 12:21)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
मिस्र के जिस व्यक्ति ने उसे ख़रीदा, उसने अपनी स्त्री से कहा, 'इसको अच्छी तरह रखना। बहुत सम्भव है कि यह हमारे काम आए या हम इसे बेटा बना लें।' इस प्रकार हमने उस भूभाग में यूसुफ़ के क़दम जमाने की राह निकाली (ताकि उसे प्रतिष्ठा प्रदान करें) और ताकि मामलों और बातों के परिणाम से हम उसे अवगत कराएँ। अल्लाह तो अपना काम करके रहता है, किन्तु अधिकतर लोग जानते नहीं
English Sahih:
And the one from Egypt who bought him said to his wife, "Make his residence comfortable. Perhaps he will benefit us, or we will adopt him as a son." And thus, We established Joseph in the land that We might teach him the interpretation of events [i.e., dreams]. And Allah is predominant over His affair, but most of the people do not know. ([12] Yusuf : 21)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(यूसुफ को लेकर मिस्र पहुँचे और वहाँ उसे बड़े नफे में बेच डाला) और मिस्र के लोगों से (अज़ीजे मिस्र) जिसने (उनको ख़रीदा था अपनी बीवी (ज़ुलेख़ा) से कहने लगा इसको इज्ज़त व आबरु से रखो अजब नहीं ये हमें कुछ नफा पहुँचाए या (शायद) इसको अपना बेटा ही बना लें और यू हमने यूसुफ को मुल्क (मिस्र) में (जगह देकर) क़ाबिज़ बनाया और ग़रज़ ये थी कि हमने उसे ख्वाब की बातों की ताबीर सिखायी और ख़ुदा तो अपने काम पर (हर तरह के) ग़ालिब व क़ादिर है मगर बहुतेरे लोग (उसको) नहीं जानते