لَقَدْ كَانَ فِيْ قَصَصِهِمْ عِبْرَةٌ لِّاُولِى الْاَلْبَابِۗ مَا كَانَ حَدِيْثًا يُّفْتَرٰى وَلٰكِنْ تَصْدِيْقَ الَّذِيْ بَيْنَ يَدَيْهِ وَتَفْصِيْلَ كُلِّ شَيْءٍ وَّهُدًى وَّرَحْمَةً لِّقَوْمٍ يُّؤْمِنُوْنَ ࣖ ( يوسف: ١١١ )
Laqad kana fee qasasihim 'ibratun liolee alalbabi ma kana hadeethan yuftara walakin tasdeeqa allathee bayna yadayhi watafseela kulli shayin wahudan warahmatan liqawmin yuminoona (Yūsuf 12:111)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
निश्चय ही उनकी कथाओं में बुद्धि और समझ रखनेवालों के लिए एक शिक्षाप्रद सामग्री है। यह कोई घड़ी हुई बात नहीं है, बल्कि यह अपने से पूर्व की पुष्टि में है, और हर चीज़ का विस्तार और ईमान लानेवाले लोगों के लिए मार्ग-दर्शन और दयालुता है
English Sahih:
There was certainly in their stories a lesson for those of understanding. Never was it [i.e., the Quran] a narration invented, but a confirmation of what was before it and a detailed explanation of all things and guidance and mercy for a people who believe. ([12] Yusuf : 111)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
इसमें शक़ नहीं कि उन लोगों के किस्सों में अक़लमन्दों के वास्ते (अच्छी ख़ासी) इबरत (व नसीहत) है ये (क़ुरान) कोई ऐसी बात नहीं है जो (ख्वाहामा ख्वाह) गढ़ ली जाए बल्कि (जो आसमानी किताबें) इसके पहले से मौजूद हैं उनकी तसदीक़ है और हर चीज़ की तफसील और ईमानदारों के वास्ते (अज़सरतापा) हिदायत व रहमत है