قَالُوْا يٰلُوْطُ اِنَّا رُسُلُ رَبِّكَ لَنْ يَّصِلُوْٓا اِلَيْكَ فَاَسْرِ بِاَهْلِكَ بِقِطْعٍ مِّنَ الَّيْلِ وَلَا يَلْتَفِتْ مِنْكُمْ اَحَدٌ اِلَّا امْرَاَتَكَۗ اِنَّهٗ مُصِيْبُهَا مَآ اَصَابَهُمْ ۗاِنَّ مَوْعِدَهُمُ الصُّبْحُ ۗ اَلَيْسَ الصُّبْحُ بِقَرِيْبٍ ( هود: ٨١ )
Qaloo ya lootu inna rusulu rabbika lan yasiloo ilayka faasri biahlika biqit'in mina allayli wala yaltafit minkum ahadun illa imraataka innahu museebuha ma asabahum inna maw'idahumu alssubhu alaysa alssubhu biqareebin (Hūd 11:81)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उन्होंने कहा, 'ऐ लूत! हम तुम्हारे रब के भेजे हुए है। वे तुम तक कदापि नहीं पहुँच सकते। अतः तुम रात के किसी हिस्सेमें अपने घरवालों को लेकर निकल जाओ और तुममें से कोई पीछे पलटकर न देखे। हाँ, तुम्हारी स्त्री का मामला और है। उनपर भी वही कुछ बीतनेवाला है, जो उनपर बीतेगा। निर्धारित समय उनके लिए प्रातःकाल का है। तो क्या प्रातःकाल निकट नहीं?'
English Sahih:
They [the angels] said, "O Lot, indeed we are messengers of your Lord; [therefore], they will never reach you. So set out with your family during a portion of the night and let not any among you look back – except your wife; indeed, she will be struck by that which strikes them. Indeed, their appointment is [for] the morning. Is not the morning near?" ([11] Hud : 81)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
वह फरिश्ते बोले ऐ लूत हम तुम्हारे परवरदिगार के भेजे हुए (फरिश्ते हैं तुम घबराओ नहीं) ये लोग तुम तक हरगिज़ (नहीं पहुँच सकते तो तुम कुछ रात रहे अपने लड़कों बालों समैत निकल भागो और तुममें से कोई इधर मुड़ कर भी न देखे मगर तुम्हारी बीबी कि उस पर भी यक़ीनन वह अज़ाब नाज़िल होने वाला है जो उन लोगों पर नाज़िल होगा और उन (के अज़ाब का) वायदा बस सुबह है क्या सुबह क़रीब नहीं