فَلَمَّا رَاٰىٓ اَيْدِيَهُمْ لَا تَصِلُ اِلَيْهِ نَكِرَهُمْ وَاَوْجَسَ مِنْهُمْ خِيْفَةً ۗقَالُوْا لَا تَخَفْ اِنَّآ اُرْسِلْنَآ اِلٰى قَوْمِ لُوْطٍۗ ( هود: ٧٠ )
But when
فَلَمَّا
फिर जब
he saw
رَءَآ
उसने देखा
their hands
أَيْدِيَهُمْ
हाथ उनके
not
لَا
नही वो पहुँचते
reaching
تَصِلُ
नही वो पहुँचते
to it
إِلَيْهِ
तरफ़ उसके
he felt unfamiliar of them
نَكِرَهُمْ
उसने अजनबी समझा उन्हें
and felt apprehension
وَأَوْجَسَ
और उसने महसूस किया
from them
مِنْهُمْ
उनसे
[a fear]
خِيفَةًۚ
ख़ौफ़
They said
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
"(Do) not
لَا
ना तुम डरो
fear
تَخَفْ
ना तुम डरो
Indeed we
إِنَّآ
बेशक हम
[we] have been sent
أُرْسِلْنَآ
भेजे गए हैं हम
to
إِلَىٰ
तरफ़ क़ौमे
(the) people
قَوْمِ
तरफ़ क़ौमे
(of) Lut"
لُوطٍ
लूत के
Falamma raa aydiyahum la tasilu ilayhi nakirahum waawjasa minhum kheefatan qaloo la takhaf inna orsilna ila qawmi lootin (Hūd 11:70)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
किन्तु जब देखा कि उनके हाथ उसकी ओर नहीं बढ़ रहे है तो उसने उन्हें अजनबी समझा और दिल में उनसे डरा। वे बोले, 'डरो नहीं, हम तो लूत की क़ौम की ओर से भेजे गए है।'
English Sahih:
But when he saw their hands not reaching for it, he distrusted them and felt from them apprehension. They said, "Fear not. We have been sent to the people of Lot." ([11] Hud : 70)